लखनऊ एक्सप्रेस वे पर भ्रष्टाचार की दरारें
आगरा : बारिश से देश के सबसे बड़े लखनऊ एक्सप्रेस वे का दम निकल गया है।
आगरा : बारिश से देश के सबसे बड़े लखनऊ एक्सप्रेस वे का दम निकल गया है। भ्रष्टाचार के चलते गुणवत्ताहीन कार्य हुए। परिणाम यह हुआ कि जगह-जगह दरारें पड़ गईं और सड़क तक दरक गई। नवंबर 2016 में फाइटर जेट लैंड कराकर सड़क की मजबूती आंकी गई थी। अब दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी के बाद पूरे एक्सप्रेस वे की जांच होगी। कटाव वाले स्थानों पर पत्थर से भराव किया जाएगा फिर मिट्टी डाली जाएगी। निर्माणदायी एजेंसी करेगी काम
एक्सप्रेस वे पर पड़ी दरारों की जांच उप्र एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) और निर्माणदायी एजेंसी मिलकर करेंगी। वहीं निर्माणदायी संस्था 15 सितंबर के बाद क्षतिग्रस्त नालियां बनाएगी। टैंकों की सफाई कराई जाएगी। - बारिश खत्म होने के बाद पूरे एक्सप्रेस वे के निर्माण की जांच कराई जाएगी। यूपीडा और निर्माणदायी संस्था मिलकर जांच करेंगी। साथ ही किनारों पर घास लगाई जाएगी।
अवनीश अवस्थी, सीईओ यूपीडा फैक्ट फाइल
- लखनऊ एक्सप्रेस वे का निर्माण पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप से हुआ है।
- जमीन अधिग्रहण का कार्य दो सितंबर, 2013 से शुरू हुआ था।
- लागत 15 हजार करोड़ रुपये (2.3 बिलियन डालर) थी, लेकिन इसे 13 हजार 200 करोड़ रुपये (2.1 बिलियन डालर) में बनाया गया।
- आगरा से लखनऊ महज साढ़े तीन घंटे के भीतर पहुंचा जा सकता है। इस प्रकार हुआ निर्माण
- पहला चरण, आगरा से फीरोजाबाद 55 किमी, लागत 1635.75 करोड़ रुपये।
- दूसरा चरण, फीरोजाबाद से इटावा 62 किमी, 1999.49 करोड़ रुपये।
- तीसरा चरण, इटावा से कन्नौज 57 किमी, 1674.81 करोड़ रुपये।
- चौथा चरण, कन्नौज से उन्नाव 64 किमी, 2124.17 करोड़ रुपये।
- पांचवां चरण, उन्नाव से लखनऊ 63 किमी, लागत 1630 करोड़ रुपये।
- नवंबर, 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसका उद्घाटन किया।