रोशनी के काम में भ्रष्टाचार का अंधेरा, एलईडी खरीद में घपला
एडीए में 1652 एलईडी खरीद में घपला, अप्रैल 201
अमित दीक्षित, आगरा: एडीए के विद्युत अनुभाग के इंजीनियरों ने एक और घपला किया है। ताजनगरी फेज दो में छह माह पूर्व लगीं 80 फीसद एलईडी खराब मिली हैं। यह पर्दाफाश गोपनीय जांच में हुआ है। खराब क्वालिटी की एलईडी लगाने पर एडीए उपाध्यक्ष शुभ्रा सक्सेना ने भुगतान पर रोक लगा दी है।
ताजनगरी फेज टू में फरवरी से एलईडी लगाने की मांग की जा रही थी। नगर निगम ने एलईडी लगाकर योजना को हैंडओवर की बात कही। इस पर एडीए के विद्युत अनुभाग ने अप्रैल 2018 में 16 लाख रुपये का टेंडर निकाला। यह टेंडर एसपीएन कंपनी को मिला। मई में 90 से 250 वॉट की 1652 स्ट्रीट लाइट लगाई गई। लाइट लगने के कुछ सप्ताह बाद ही खराब होना शुरू हो गई। इसकी शिकायत एडीए अफसरों से की गई, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हुई। 16 लाख रुपये के भुगतान के प्रयास किए गए। इस पर एडीए उपाध्यक्ष ने जांच कराई। इसमें 80 फीसद लाइट खराब मिलीं। क्षेत्रीय लोगों ने दो से तीन माह से लाइट खराब होने की बात कही।
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ऐसे खुला मामला
ताजनगरी फेज दो में लाइट खराब होने की लगातार शिकायतें मिल रही थीं। एडीए उपाध्यक्ष ने शिकायतों की जांच के आदेश दिए। शिकायतें सही मिलीं। इसके बाद 1652 लाइटों का सत्यापन कराया गया। शिकायतों को पचा गए इंजीनियर
लगातार एलईडी खराब होने की शिकायत क्षेत्रीय लोगों ने एडीए के विद्युत अनुभाग के इंजीनियरों से कीं। इंजीनियरों ने शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया। यहां तक अफसरों ने जिन शिकायतों की जांच के आदेश दिए। उन्हें भी इंजीनियर पचा गए।
खराब क्वालिटी की खरीदी जा रहीं लाइट
एडीए के विद्युत अनुभाग द्वारा खराब क्वालिटी की लाइटें खरीदी जा रही हैं। पूर्व में भी कई घपले हो चुके हैं। नगर निगम और लोक निर्माण विभाग के मुकाबले एडीए में महंगे रेट पर लाइट की खरीद हो रही है।
आंख मूंद कर किया सत्यापन
ताजनगरी फेज दो में लाइट लगने के बाद इनका सत्यापन कराया गया। एडीए के विद्युत विभाग के इंजीनियरों ने आंख मूंद कर सत्यापन किया।
फैक्ट फाइल
- 866 लाइट, 250 वॉट
- 114 लाइट, 150 वॉट
- 202 लाइट, 90 वॉट
- 470 लाइट, 70 वॉट
- ताजनगरी फेज टू की अधिकांश लाइट खराब मिली हैं। कंपनी के भुगतान को रोक दिया गया है। मामले की जांच कराई जा रही है।
शुभ्रा सक्सेना, उपाध्यक्ष एडीए हाईवे की नहीं जलती हैं लाइटें
नेशनल हाईवे दो की अधिकांश लाइटें बंद पड़ी हुई हैं। इससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। शिकायतों के बाद भी एडीए अफसरों द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया है।