पत्थर कटिंग की दो दर्जन इकाइयों पर संकट के बादल, कराई जाएंगी बंद
-प्रदूषण विभाग से अनुमति न लेने पर कराई जाएंगी बंद - खेरागढ़ में काफी समय से चल रही हैं ये इकाइयां
आगरा: टीटीजेड के चलते ताजनगरी की दो दर्जन इकाइयों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पत्थर काटने की ये इकाइयां खेरागढ़ में चल रही हैं। इनके संचालन के लिए प्रदूषण विभाग से अनुमति नहीं ली गई है।
खेरागढ़ क्षेत्र में काफी समय से पत्थर काटने की इकाइयां चल रही हैं। यहां ब्लेड के जरिए पत्थर काटे जाते हैं। पत्थर काटने से उड़ने वाले सूक्ष्म कण सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक हैं। इन इकाइयों ने प्रदूषण विभाग से अनुमति नहीं ली है। टीटीजेड में आने के कारण अब ये इकाइयां भी जल्द ही बंद कराई जाएंगी। प्रदूषण विभाग के सूत्रों का कहना है कि इन्हें बंद कराने की तैयारी पूरी कर ली गई है। लखनऊ से जल्द ही फरमान जारी हो जाएगा। प्रदूषण विभाग से अनुमति की प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही इन्हें चलाया जा सकता है। बॉक्स
सूक्ष्म कणों से जा सकती है जान
पत्थर कटिंग से उड़ने वाली धूल और सूक्ष्म कण बेहद खतरनाक है। एसएन के टीबी एवं चेस्ट विभाग के सह आचार्य डॉ. जीवी सिंह कहते हैं कि खासकर जहां ये इकाइयां चलती हैं, वहां काम करने वाले लोगों के लिए बेहद खतरनाक स्थिति रहती है। पत्थर में केमिकल कंपोजिशन होता है। इससे लोगों में फ्लीकोसेस नामक बीमारी हो जाती है। फिर धीरे-धीरे फाइब्रोसेस होने लगती है। एक बार बीमारी होने के बाद ये जीवन भर बढ़ती जाती है। फिर चाहे व्यक्ति ऐसी इकाइयों से संपर्क खत्म कर ले, फिर भी बीमारी नहीं जाती। सालों तक बीमारी के बाद उसे हार्ट फेल की दिक्कत होती है और उसकी मौत हो जाती है। दूसरा इसके कण टीबी के कीटाणुओं को भी एक्टिव करते हैं।