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ऑनलाइन से विवि में लंबी हुई लाइन

आगरा: दोपहर के एक बजे उमस भर गर्मी। विवि के पालीवाल पार्क कैंपस के बाहर छात्रों की लाइन लगी हुई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Jul 2018 08:05 PM (IST)Updated: Mon, 09 Jul 2018 08:05 PM (IST)
ऑनलाइन से विवि में लंबी हुई लाइन
ऑनलाइन से विवि में लंबी हुई लाइन

जागरण संवाददाता, आगरा: दोपहर के एक बजे उमस भर गर्मी। विवि के पालीवाल पार्क कैंपस के बाहर बनी हेल्प डेस्क के बाहर छात्रों की लाइन । इस लाइन में शिकोहाबाद के दरबेश सिंह डिग्री कॉलेज के बीएससी के छात्र अनिल यादव भी लगे थे। कंधे पर बैग लटका था और शर्ट पसीने से तरबतर थी। अनिल ने बताया कि फ‌र्स्ट ईयर की मार्कशीट में गड़बड़ी है। ऑनलाइन आवेदन किया था। अब तक कुछ नहीं हुआ। यह पीड़ा केवल अनिल की नहीं, बल्कि लाइन में लगे हर छात्र की थी।

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अंबेडकर विवि में हर दिन करीब सात सौ छात्र-छात्राएं अपनी समस्या लेकर आ रहे हैं। इसमें अधिकांश छात्र डिग्री, मार्कशीट के लिए आ रहे हैं। यह वह छात्र हैं जिन्होंने एक-दो महीने पहले ऑनलाइन आवेदन किया था। विवि की ओर से 25 दिन में घर बैठे डिग्री और मार्कशीट उपलब्ध करा दी जाएगी। मगर, ऑनलाइन आवेदनों का निस्तारण करने में विवि फेल हो गया है। हाथरस सहपऊ के केसी एजूकेशन इंस्टीट्यूट के बीएससी प्रथम वर्ष के बाद प्रवीन कुमार की मा‌र्क्सशीट में एमडब्लू आया है। 15 दिन पहले ऑनलाइन आवेदन किया था। कोई जवाब नहीं मिला तो विवि आए। मगर, समस्या का समाधान नहीं हुआ। आगरा कॉलेज से 2016 में बीएससी कर चुकी रीता ने प्रोविजनल डिग्री के लिए तीन महीने पहले ऑनलाइन आवेदन किया था। कोई रेस्पांस नहीं आया तो उन्होंने 16 जून को दोबारा आवेदन किया। फिर भी कुछ नहीं हुआ। ऐसे में उन्हें विवि आना ही पड़ा। हाथरस के पीसी बागला कॉलेज के बीए के छात्र तेजवीर सिंह के फिजीकल एजूकेशन के नंबर ही अपडेट नहीं हुए हैं। ऑनलाइन आवेदन करने के बाद तीन बार विवि के चक्कर लगा चुके हैं। विवि में आने वाले अधिकांश छात्र ऑनलाइन आवेदन करने वाले हैं। विवि के पीआरओ गिरजाशंकर का कहना है कि छात्रों की समस्या निस्तारण के लिए विवि प्रशासन गंभीर है। इसके लिए तेजी से व्यवस्था में बदलाव किए जा रहे हैं। जल्द ही घर बैठे डिग्री-मार्कशीट मिलेगी।

एक लाइन से दूसरी लाइन में भटक रहे छात्र

विवि आने वाले अधिकांश छात्रों का समय लाइन में ही निकल जाता है। पहले उन्हें एंट्री के लिए पास बनवाने के लिए लाइन में लगना पड़ता है। इसके बाद समस्या बताने के लिए परीक्षा नियंत्रक से मिलने के लिए लाइन में लगना पड़ता है। यहां पर काम नहीं हुआ तो रजिस्ट्रार से मिलने को फिर लाइन में लगना पड़ता है। विभागों में भी छात्रों की सुनवाई नहीं होती है।

टै्रकिंग सिस्टम की स्पीड धीमी

ऑनलाइन आवेदनों को ट्रैक करने के लिए ट्रैकिंग सिस्टम शुरू किया गया, लेकिन इसकी स्पीड भी बहुत धीमी है। डिग्री के 10 हजार आवेदनों में से केवल तीन हजार आवेदन की टै्रकिंग सिस्टम में आ पाए हैं। यह है स्थिति

- हर महीने आते हैं 12 हजार ऑनलाइन आवेदन

- विवि में एक दिन में आते हैं करीब 700 छात्र

- विवि में आने वाले 90 फीसद छात्र ऑनलाइन आवेदन वाले

- 80 फीसद छात्रों का समस्या का समय से नहीं होता निस्तारण


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