पहले साक्ष्य लाओ, तब होगी भ्रष्टाचार की जांच
जागरण संवाददाता, आगरा: डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में अगर किसी फर्जीवाडे़ की जांच करानी है तो
जागरण संवाददाता, आगरा: डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में अगर किसी फर्जीवाडे़ की जांच करानी है तो इसके लिए शिकायतकर्ता को अच्छी खासी भागदौड़ करनी होगी। पहले साक्ष्य जुटाने होंगे, फिर स्टांप पेपर पर शिकायत करनी होगी। इतना ही नहीं अगर शिकायत गलत निकलती है तो विवि शिकायतकर्ता पर कार्रवाई करेगा।
विवि में कार्यरत एजेंसी में भ्रष्टाचार और सांई आयुर्वेदिक कॉलेज में एमडी-एमएस की परीक्षा में एक जैसी कॉपी लिखने का आरोप लगाते हुए इसकी जांच की मांग एनएसयूआइ ने उठाई थी। विवि ने इन मामलों में गेंद उल्टे शिकायतकर्ता के पाले में डाल दी है। विवि द्वारा दिए गए लिखित आश्वासन में कहा गया है कि सांई आयुर्वेदिक कॉलेज में एक जैसी कॉपी लिखने और अवैध वसूली की शिकायत 100 रुपये के स्टांप पेपर पर साक्ष्यों के साथ की जाएगी तो विवि 15 दिन में समिति गठित कर जांच कराएगा। अगर जांच में शिकायत झूठी पाई जाती है तो शिकायतकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। वहीं, एजेंसी के खिलाफ शिकायत स्पष्ट न होने पर जांच से ही इंकार कर दिया है। पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष गौरव शर्मा का कहना है कि 19 दिन से धरने के बाद भी विवि को शपथ पत्र पर शिकायत चाहिए। अब सोमवार को स्टांप पेपर पर शिकायत की जाएगी।
जांच से बचने का रास्ता
विवि ने शिकायतों और जांचों से बचने के लिए बीच का रास्ता निकाला है। जांच के लिए जो शर्तें रखी हैं, उन्हें बहुत ही कम लोग पूरा कर पाएंगे। अगर जांच समिति ने शिकायतकर्ता को गलत बता दिया तो उस पर कार्रवाई की तलवार और लटकी रहेगी। ऐसे में फजीहत से बचाने के लिए कम लोग ही शिकायत करने की हिम्मत जुटा पाएंगे। वहीं, एक सवाल यह उठता है कि जब साक्ष्य के साथ शिकायत होगी तो वह फर्जी शिकायत कैसे निकलेगी।