कीमे की कचौड़ी-समोसा से महका बाजार
आगरा: जब तक रहेगा समोसे में आलू..यह बात अब पुरानी हो गई है। रमजान के पाक माह में बाजार में कीमे का समोसा लोगों के मुंह में पानी ला रहा है।
जागरण संवाददाता, आगरा: जब तक रहेगा समोसे में आलू..यह बात अब पुरानी हो गई है। रमजान के पाक माह में बाजार में कीमे का समोसा लोगों के मुंह में पानी ला रहा है। कचौड़ी और समोसे के शौकीनों के लिए कीमे के दोनों आयटम खूब लुभा रहे हैं। इनका उपयोग मुस्लिम इफ्तारी में तो कर ही रहे हैं बहुतायत में ¨हदू भी इनका स्वाद लेने बाजार में उमड़ रहे हैं।
रमजान के पाक महीने में शाम को बाजार रोशन हो जाते हैं। ताजनगरी के लोहामंडी, शाहगंज, फव्वारा, नई बस्ती, शहीद नगर, जामा मस्जिद के आसपास इन व्यंजनों की खूब बिक्री हो रही है। शहर की सकरी गलियों में भी खाने पीने के सामान तैयार हो रहे हैं।
यह डिश खूब भा रही
मुस्लिम इलाकों में नॉनवैज से बाजार महक रहे हैं। सींक कबाब, नहारी, बिरयानी, मछली कबाब, कीमे के समोसे, कचौड़ी, कोफ्ते सहित कई व्यंजन शामिल हैं।
मेवे के हलवा की डिमांड
लोहामंडी स्थित दुकानदार शमशेर खान ने बतायारमजान के माह में कई नए व्यंजन तैयार हो रहे हैं। सबसे अधिक कबाब की बिक्री हो रही है। इफ्तार के लिए समुदाय के लोग मेवे का हलवा की मांग कर रहे हैं। सहरी की तैयारी के लिए भी लोग शाम को ही खाद्य सामग्री खरीद लेते हैं। इसमें फल-मेवा अधिक पसंद कर रहे हैं।
वकील सैफी, शाहगंज
इबादत के माह में दिनभर रोजा रखकर शाम को खाना खाने की इच्छा नहीं होती है। इसलिए फल, मेवा आदि खरीदते हैं।
सद्दाम, शाहगंज
रोजेदार इफ्तार में कई प्रकार के व्यंजनों का प्रयोग करते हैं। क्योंकि दिनभर रोजा रखकर खाना खाने का मन नहीं होता है। इसलिए कई प्रकार के कबाब खरीद कर ले जाते हैं।
फतेह मोहम्मद, शाहगंज