मंगल सगुन सुगम तब ताकें, सुगम ब्रह्मा सुंदर सुत जाकें..
आगरा: ताजनगरी शुक्रवार को अवधपुरी सरीखी थी। चहुंओर छाया रहा उल्लास, गूंज रहे थे श्रीराम के नारे। राम बारात निकलते ही लोगों की भीड़ जुट गई।
आगरा: ताजनगरी शुक्रवार को अवधपुरी सरीखी थी। चहुंओर छाया रहा उल्लास, गूंज रहे थे श्रीराम के जयकारे। आराध्य की भक्ति में उमड़े भक्तों के सैलाब को दूल्हा बने रघुनंदन और अनुजों के दर्शन की व्याकुलता थी। आरती के थाल और पुष्प लेकर खड़े श्रद्धालु मन:कामेश्वर मंदिर के पास अपलक निगाहें टिकाए रहे।
भगवान श्रीराम देर शाम जब दिव्य रथ पर विराजे तो जयघोष से दसों दिशाएं गूंज उठीं। सूर्य के समान दमकते रत्नजड़ित मुकुट और राजसी पोशाक में मुस्कान बिखेरते प्रभु राम के दर्शन कर श्रद्धालु धन्य हो गए। जगह-जगह रघुनंदन की आरती उतारने की होड़ लग गई। दूल्हा बने रघुनंदन पर पुष्पों की वर्षा होने लगी। राम की बरात में बैंड की धुनों, ढोल, नगाड़ों पर शहरवासी बराती बने।
उत्तर भारत में प्रसिद्ध आगरा की ऐतिहासिक राम बरात रावतपाड़ा स्थित लाला चन्नोमल की बारादरी से शुक्रवार शाम सात बजे निकली। बरात में सबसे आगे रघुवंश की ध्वज पताका लिए ऊंट और अश्व सवार चल रहे थे। इसके पीछे गणेश जी की सवारी थी। इनके पीछे सामाजिक संदेश देतीं 110 झांकियां थीं। 14 बैंड धार्मिक धुनें बजा रहे थे। रोड शो में कलाकार नृत्य कौशल का प्रदर्शन कर रहे थे।
इससे पूर्व बारादरी में भगवान राम, लक्ष्मण जी, भरत जी, शत्रुघ्न जी के स्वरूपों का राजसी श्रृंगार किया गया। आरती के बाद स्वरूपों को रथ पर विराजमान किया गया। सबसे पहले शत्रुघ्न जी, फिर भरत जी के स्वरूप कमल की डिजाइन के रथ पर सवार हुए। इनके बाद शेषनाग के अवतार लक्ष्मण जी को रथ पर सवार कराया गया। उनके रथ पर शेषनाग की झलक दिख रही थी। सबसे अंत में जन-जन के आराध्य प्रभु श्रीराम जब देवराज इंद्र के दिव्य विशाल रथ पर सवार हुए तो हर ओर उल्लास छा गया। रघुनंदन के गगनभेदी जयकारे लगने लगे। मंगल गीत गाए जाने लगे। श्रद्धालु पुष्प वर्षा करने लगे और इसके साथ ही जनकपुरी के लिए राम बरात आगे बढ़ने लगी।
राजसी पोशाक और रत्न जडि़त मुकुट
प्रभु श्रीराम समेत चारों भाइयों का राजसी श्रृंगार किया गया। राजसी पोशाक में भगवान राम के स्वरूप में सूर्य का तेज चमक रहा था। उनके मुकुट में सूर्यवंश का प्रतीक सूर्य दमक रहा था। लक्ष्मण जी के मुकुट में शेषनाग बने हुए थे। भरत जी और शत्रुघ्न जी के स्वरूपों के मुकुट में कमल की आभा बिखर रही थी। चारों स्वरूपों के मुकुट में हीरा, पन्ना, मोती, माणिक जड़े हुए थे। उनमें कलंगी लगाई गई थीं।
यह रहा शोभायात्रा मार्ग
लाला चन्नोमल की बारादरी (गली मन:कामेश्वर) से शुरू हुई राम बरात रावतपाड़ा, जौहरी बाजार, सुभाष बाजार, दरेसी नंबर एक व दो, छत्ता बाजार, कचहरी घाट, बेलनगंज, पथवारी, धूलियागंज, सिटी स्टेशन रोड, घटिया, छिली ईट रोड, फुलट्टी बाजार, सेब का बाजार, किनारी बाजार, कसेरट बाजार होते हुए शनिवार सुबह रावतपाड़ा पहुंचेगी। यहां से स्वरूप विजयनगर कॉलोनी में सजी जनकपुरी को प्रस्थान करेंगे।