Missing Girls: अपहृत लड़कियों का सुराग लगाने को पुलिस ने चली बार उल्टी चाल, हुई कामयाब
आगरा से अपहृत 142 लड़कियों में से 14 को अब पुलिस ने कर लिया बरामद। स्वजन को भी थी जानकारी कि गायब करने के पीछे है किसका हाथ। इससे पहले पुलिस महकमे चलती थी केवल कागजी तलाश। अधिकांश मामलों में सामने आया प्रेम संबंधों के चलते घर से भागना।
आगरा, यशपाल चौहान। नाबालिग लड़कियों के अपहरण के मामले में पुलिस हमेशा आरोपित की तलाश करती थी। इस बार पुलिस ने उल्टी चाल चली। अपहृत लड़कियों के मुहल्ले में जाकर पूछताछ की तो सुराग मिल गए। इसके बाद बरामदगी कर लीं। पंद्रह दिन में पुलिस 14 लड़कियां बरामद कर चुकी है। ये अपहरण के समय नाबालिग थीं। अब बालिग होने पर प्रेमियों से शादी करके उनके साथ रह रही थीं। स्वजन भी जानते थे। मगर, पुलिस कागजी सुरागरशी करती रही और विवेचना चलती रहीं।
आगरा में 10 अक्टूबर तक 142 लड़कियों के अपहरण के मुकदमे दर्ज थे। इनमें से कुछ वर्ष 2017 और उससे पहले के भी थे। एसएसपी ने पंद्रह दिन पहले अपहृत लड़कियों की बरामदगी को अभियान शुरू कराया। सभी थानों में विशेष टीम बनाई गईं। एसएसपी बबलू कुमार ने बताया कि हर बार अभियुक्त की तलाश की जाती थी। उसके करीबियों पर शिकंजा कसा जाता था। इस बार पुलिस टीमों ने अपहृत लड़कियों के मोहल्लों में जाकर लोगों से बात की। मोहल्ले में चर्चाओं को जानने के बाद वादी से भी बात की। मगर, वादी ने कोई पुख्ता जानकारी नहीं दी। मोहल्लों से मिली सूचनाओं के आधार पर पुलिस ने तलाश की। इसके आधार पर अब तक 14 लड़कियां बरामद हो गईं। ये सभी अपने प्रेमियों के साथ गई थीं। स्वजन ने अपहरण का मुकदमा दर्ज करा दिया। कुछ दिन तक पुलिस ने स्वजन के साथ उनकी तलाश की। मगर, कुछ दिन बाद स्वजन थक कर घर बैठ गए। पुलिस ने असल में तलाश तो नहीं की। केवल केस डायरी में सुरागरशी की जाती रही। इससे केस लंबित थे। बरामद लड़कियों के पुलिस ने कोर्ट में बयान कराए। उनके बयान के आधार पर कोर्ट के आदेश पर वे अपने पति के साथ ही चली गईं। पूछताछ में यह भी पता चला है कि अधिकतर युवतियों के स्वजन को उनके बारे में जानकारी थी। कुछ की स्वजन से बात भी होती थी। एसएसपी ने बताया कि अभी अन्य लड़कियों की बरामदगी के प्रयास किए जा रहे हैं।
पुलिस ने भी नहीं दी तवज्जो
लड़कियों के अपहरण के मुकदमे दर्ज करने के बाद पुलिस भी कुछ दिन तक सक्रिय रहती है। स्वजन थाने और चौकी के चक्कर लगाते हैं। मगर, उनको संतोषजनक जवाब तक नहीं मिलता। उनसे कह दिया जाता है कि पता कर लो। तब पुलिस की टीम साथ भेजेंगे। कई मामलों में स्वजन वर्षों से चक्कर लगा रहे हैं। मगर, लड़कियां बरामद नहीं हुईं।