Agra Places To Visit: सस्ते में ताजमहल देखना है तो आइये यहां, बेहद खूबसूरत है मेहताब बाग, नाइट व्यू की टिकट है कम
Agra Places To Visit ताजमहल के पार्श्व में मेहताब बाग है। यहां से महज 50 रुपये में ताजमहल का दीदार कर सकते हैं और हरियाली का लुत्फ उठा सकते हैं। मेहताब बाग के नाइट व्यू प्वाइंट से चांदनी रात में कम टिकट पर ताज देखा जा सकता है।
आगरा, जागरण टीम। हर शुक्रवार को ताजमहल में प्रवेश नहीं होता है। उस दौरान पर्यटक यमुना पार स्थित मेहताब बाग पर जाकर ताजमहल का दीदार कर लेते हैं। यहां से हरियाली और यमुना के बीच से ताज बेहद खूबसूरत भी दिखता है। हर रोज बहुत से देशी-विदेशी पर्यटक यहां विशेष तौर पर आते हैं। हरी खास पर बैठकर घंटों ताजमहल को निहारते हैं।
मुगल शहंशाह शाहजहां ने कराया था मेहताब बाग का निर्माण
मेहताब बाग ताजमहल के ठीक पार्श्व में यमुना पार स्थित है। शहंशाह शाहजहां ने चंद्र वाटिका (मेहताब बाग) का निर्माण कराया था। वो स्वयं यहां से ताजमहल निहारा करता था। मेहताब बाग भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा संरक्षित है। यहां से सूर्यास्त के समय ताजमहल का अद्भुत नजारा ना भूलने वाला होता है।
ये हैं ताज व्यू प्वाइंट की टिकट दर
मेहताब बाग स्थित ताज व्यू प्वाइंट के टिकट दरों में कमी हो गई है। व्यू प्वाइंट से हर दिन करीब 100 से अधिक पर्यटक ताजमहल के दीदार के लिए पहुंचते हैं। एडीए उपाध्यक्ष चर्चित गौड़ के आदेश पर नए रेट बुधवार से लागू हुए। शरद पूर्णिमा के पांच दिन के दौरान भी टिकट में कमी की गई है।
यह है टिकट दर सामान्य दिन, सूर्योदय से लेकर रात 12 बजे तक श्रेणी, पुरानी टिकट दर, नई टिकट दर भारतीय पर्यटक,
50 रुपये, 15 रुपये प्रति व्यक्ति विदेशी पर्यटक, 200 रुपये, 50 रुपये प्रति व्यक्ति
शरद पूर्णिमा पर पांच दिन, शाम छह से रात 12 बजे तक श्रेणी, पुरानी टिकट दर, नई टिकट दर भारतीय पर्यटक
200 रुपये, 50 रुपये विदेशी पर्यटक, 500 रुपये, 200 रुपये प्रति व्यक्ति
कभी यहां आई थी बाढ़ और रेत के टीले में बदल गया था बाग
आज मेहताब बाग जैसा नजर आता है, ढाई दशक वर्ष पूर्व उसकी यह स्थिति नहीं थी। यमुना नदी में समय-समय पर आई बाढ़ और ग्रामीणों द्वारा पहुंचाई गई क्षति के चलते यह रेत के टीले में तब्दील हो गया था। यहां नजर आते अवशेषों को गाइड ताजमहल देखने आने वाले पर्यटकों को काले ताजमहल का भाग बताते थे।
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उन्हें बताते थे कि औरंगजेब द्वारा बंदी बनाए जाने से शाहजहां का काला ताजमहल बनवाने का ख्वाब अधूरा रह गया। वर्ष 1978 में यमुना में आई बाढ़ में यमुना किनारे प्राचीन दीवार निकलने पर यहां किसी प्राचीन स्मारक की मौजूदगी का सच सामने आया था।
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एएसआइ ने कराया था यहां उत्खनन
एएसआइ ने वर्ष 1993-94 में यहां उत्खनन कराया था, जिसमें सेंट्रल टैंक में लगा फुव्वारा, अष्टकोणीय टैंक व उसमें लगे फुव्वारों, बारादरी और दीवार के नीचे कुओं वाली नींव के साक्ष्य भी मिले थे। इसके बाद एएसआइ ने पुरावशेषों का संरक्षण कर यहां बाग विकसित किया था। आज यहां सूर्योदय और सूर्यास्त के समय ताजमहल देखने पर्यटक पहुंचते हैं।