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130 स्कूलों में सिर्फ एक-एक शिक्षक, पढ़ाने में हो रही परेशानी

आगरा: यह महज कुछ मामले हैं, जिन्हें देखकर आप शहर के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा के स्तर और व्यवस्था को आसानी से समझ सकते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Oct 2018 09:00 AM (IST)Updated: Thu, 04 Oct 2018 09:00 AM (IST)
130 स्कूलों में सिर्फ एक-एक शिक्षक, पढ़ाने में हो रही परेशानी
130 स्कूलों में सिर्फ एक-एक शिक्षक, पढ़ाने में हो रही परेशानी

आगरा: यह महज कुछ मामले हैं, जिन्हें देखकर आप शहर के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा के स्तर और व्यवस्था को आसानी से समझ सकते हैं। शहरी क्षेत्र के करीब 130 विद्यालय एक शिक्षक के भरोसे हैं। जबकि कई शिक्षकों पर दो-दो स्कूलों का चार्ज है। कुछ तो सिर्फ शिक्षामित्रों के भरोसे चल रहे हैं।

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एक शिक्षक पर कई कक्षाओं की जिम्मेदारी

स्कूल में जब एक ही शिक्षक है, तो उसी पर सभी कक्षाओं की जिम्मेदारी है। ऐसे में वह अलग-अलग कक्षा लेने की जगह बच्चों को एक साथ पढ़ा रहे हैं। नतीजा, बड़े बच्चे छोटों के सिलेबस में रुचि नहीं दिखाते और छोटे बड़ों के। इस कारण पढ़ाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है।

सालों से नहीं हुई नई नियुक्ति

यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) जिला महामंत्री राजीव वर्मा ने बताया कि गांव के स्कूल तो दूर शहरी क्षेत्र में लगभग सभी स्कूलों के यही हाल हैं। सालों से इनमें नई नियुक्ति नहीं हुई, नए शिक्षकों को गांव में भेज दिया जाता है। हाल ही में हुई 68500 नियुक्ति में शहरी क्षेत्र के 20 शिक्षामित्रों को ग्रामीण क्षेत्रों में नियुक्ति मिली, वह कमी भी अब तक पूरी नहीं हुई।

यह है शहर का हाल

- कुल 166 विद्यालय।

- 130 में एक-एक शिक्षक। कई शिक्षकों पर दो-दो स्कूलों की जिम्मेदारी।

- 70 विद्यालयों में नहीं है विद्युत व्यवस्था।

- 40 के करीब विद्यालय हैं जर्जर।

- 50 विद्यालय चल रहे किराए के भवन में।

शहरी क्षेत्र के विद्यालयों में लंबे समय से नियुक्ति और ट्रांसफर नहीं हुए। इसलिए यह कमी है। शासन स्तर से निर्णय लिया जाना है, हमारे हाथ में कुछ नहीं। ऊपर से आदेश होगा, तभी स्थिति सुधरेगी।

आनंद प्रकाश शर्मा, बीएसए

केस वन

प्राथमिक विद्यालय मंडी सईद खां। 79 बच्चों के लिए स्कूल में एक भी शिक्षक नहीं, जो थे उन्हें एबीआरसी का चार्ज दे दिया। शिक्षामित्रों के भरोसे स्कूल चल रहा है। केस टू

प्राथमिक विद्यालय राजनगर। 274 बच्चों की जिम्मेदारी सिर्फ एक प्रधानाध्यापक पर। न कोई शिक्षामित्र और न कोई सहायक। यही हाल यहां के जूनियर स्कूल का है। 70 बच्चों को सिर्फ एक शिक्षक पढ़ातीं हैं। केस थ्री

मंटोला का प्राथमिक विद्यालय। स्कूल में करीब 20 बच्चे हैं, लेकिन सभी की जिम्मेदारी सिर्फ एक शिक्षक पर है। केस फोर

परिषदीय विद्यालय छीपीटोला। यहां 91 बच्चों की जिम्मेदारी सिर्फ एक शिक्षक पर है। शिक्षामित्र अक्सर गायब रहते हैं।


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