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कंडम हॉस्टल, खतरे में 125 एमबीबीएस छात्रों की जिंदगी

आगरा: एसएन मेडिकल कॉलेज के 125 एमबीबीएस छात्रों की जान को खतरा है। ये छात्र 62 साल पुराने कंडम हो चुके जीबी पंत हॉस्टल में नारकीय हालत में रह रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 28 May 2018 05:05 AM (IST)Updated: Mon, 28 May 2018 05:05 AM (IST)
कंडम हॉस्टल, खतरे में 125 एमबीबीएस छात्रों की जिंदगी
कंडम हॉस्टल, खतरे में 125 एमबीबीएस छात्रों की जिंदगी

जागरण संवाददाता, आगरा: एसएन मेडिकल कॉलेज के 125 एमबीबीएस छात्रों की जान को खतरा है। ये छात्र 62 साल पुराने कंडम हो चुके जीबी पंत हॉस्टल में नारकीय हालत में रह रहे हैं। हादसे के बाद से आक्रोशित छात्रों ने सोमवार को आंदोलन की चेतावनी दी है।

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एमबीबीएस छात्रों के लिए सुभाष पार्क के सामने जीबी पंत हॉस्टल है। तीन मंजिला हॉस्टल में दो बिल्डिंग हैं। पुरानी बिल्डिंग 1956 में बनी थी, इसमें 125 एमबीबीएस और इंटरर्नशिप कर रहे छात्र रह रहे हैं। कई कमरों की छत गिर चुकी हैं, तीसरी मंजिल को बंद कर दिया है। वहीं, 1996 में बनी बिल्डिंग को कमरे की छत गिरने के बाद खाली कर दिया गया था। हॉस्टल की छत पर टंकी से पानी टपकने से कमरे और गैलरी का प्लास्टर गिरता रहता है, गाडर में जंग लगी हुई है। ईट की रैलिंग जगह-जगह टूटी है और कमजोर है। सीवर चौक होने से शौचालय और स्नानघर गंदे पड़े हैं। पानी की व्यवस्था नहीं है और बिजली के तार खुले हुए हैं। मैस का भी बुरा हाल है, गंदगी के बीच खाना बनता है। शौचालय में कुत्ते और सांप, बाहर बंदरों का आतंक

हॉस्टल परिसर में गंदगी है, शौचालय में कुत्ते, सांप के साथ कीड़े घूमते रहते हैं। वहीं, गैलरी में बंदर बैठे रहते हैं। रात के समय हॉस्टल में अंधेरा हो जाता है। एक साल में आधा दर्जन छात्र हादसे के शिकार

पिछले एक साल में एमबीबीएस 2017 बैच के छात्र अजीत यादव से पहले आधा दर्जन छात्र हादसे के शिकार हो चुके हैं। हॉस्टल के छात्रों ने बताया कि छह महीने पहले 2008 बैच के छात्र मनीष बंदरों के हमला बोलने से नीचे गिर गए थे, वे कई महीने तक आइसीयू में भर्ती रहे। चार महीने पहले चरन सिंह कुशवाह बैच 2013 पर बंदरों ने हमला बोल दिया, वे सीढि़यों पर गिर गए और फ्रैक्चर हो गया था। बैच 2013 के नीरज पाठक सहित मैस के कर्मचारी बंदरों के हमले में घायल हो चुके हैं। वहीं, हॉस्टल के खुले बिजली के तारों से आए दिन छात्रों को करंट लगता रहता है। एमसीआइ की टीम से छिपाया, नहीं जाते अधिकारी

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के मानकों में एमबीबीएस की मान्यता के लिए हॉस्टल भी देखा जाता है। मगर, एमसीआइ के निरीक्षण के दौरान जीबी पंत हॉस्टल को छिपा लिया गया, उसे टीम को दिखाया नहीं जाता है। वहीं, हॉस्टल में अधिकारी भी नहीं जाते हैं। ऐसे में छात्र हॉस्टल की अव्यस्थाओं के लिए वार्डन डॉ. त्रिलोकचंद से छात्र शिकायत करते हैं। इन शिकायतों केा एसएन प्रशासन द्वारा अनसुना कर दिया जाता है। डिप्टी सीएम देख चुके हैं जर्जर ग‌र्ल्स हॉस्टल

एसएन परिसर स्थित ग‌र्ल्स हॉस्टल भी जर्जर है, कमरों से प्लास्टर और टॉयलेट से पानी टपकता है। डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा भी ग‌र्ल्स हॉस्टल को देख चुके हैं, इसके बाद भी हालत नहीं सुधरे हैं। कागजों में गुम हो गया 550 बेड का हॉस्टल

एसएन प्रशासन ने चार साल पहले जीबी पंत हॉस्टल को तोड़कर 550 बेड का नया हॉस्टल बनाने के लिए 25 करोड़ का प्रस्ताव भेजा था। इसके बाद से लगातार हॉस्टल का प्रस्ताव भेजा जा रहा है, इसके लिए कार्यदायी संस्था भी नामित कर दी गई। मगर, प्रस्ताव कागजों में ही गुम हो गया।


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