बेटे भी यौन शोषण के शिकार
बेटियां ही नहीं, बेटे भी यौन शोषण का शिकार हो रहे हैं। वे घर में भी असुरक्षित हैं। बाल यौन शोषण की रोकथाम को लेकर रविवार को रेनबो हॉस्पिटल में कार्यशाला का आयोजन किया गया।
जागरण संवाददाता, आगरा: बेटियां ही नहीं, बेटे भी यौन शोषण का शिकार हो रहे हैं। वे घर में भी असुरक्षित हैं। बाल यौन शोषण की रोकथाम को लेकर रविवार को रेनबो हॉस्पिटल में कार्यशाला का आयोजन किया गया।
स्मृति संस्था और राउंड टेबल इंडिया द्वारा आयोजित कार्यशाला में स्कूल के छात्र-छात्राएं और शिक्षकों को जागरूक किया गया। कहा कि साल 2007 में महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा अध्ययन कराया गाय। जिन बच्चों को सर्वे में शामिल किया गया, उनमें से 53 फीसद यौन शोषण का शिकार हो चुके थे। इसमें लड़कियों के साथ लड़के भी थे। यौन शोषण करने वालों मे परिचित और देखरेख करने वाले लोग भी शामिल थे। डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा, डॉ. निहारिका मल्होत्रा ने गुड और बेड टच के बारे में जानकारी दी। मनोवैज्ञानिक डॉ. मल्लिका बत्रा ने कहा कि परिजनों को अपने बच्चों से हर तरह की बात करनी चाहिए। आईटी एक्सपर्ट रक्षित टण्डन ने कहा कि बच्चों को अपने सामने लैपटॉप का इस्तेमाल करवाएं। इस दौरान रोहित डंग, डॉ. ऋषभ बोरा, ईडीथ्रीडी ऑर्गनाइजेशन कीं संस्थापक राखी चावला, अधिवक्ता नम्रता मिश्रा, डॉ. राजीव लोचन शर्मा आदि मौजूद रहे।
इन बातों का रखें ध्यान
- परिजन अपने बच्चों से बात करें, उसे अपना दोस्त बनाएं।
- बच्चे को स्पर्श यानि टच की परिभाषा समझाएं। गुड टच और बैड टच में क्या अंतर होता है, यह हर बच्चे को पता होना चाहिए।
5- बच्चे के व्यवहार पर नजर रखे, बच्चा हरकतें करता है, शात रहने लगा है तो सतर्क हो जाएं।
6- बच्चों को उनके शारीरिक अंगों के विषय से संबंधित जानकारी अवश्य दें, ताकि उन्हें किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पडे।
- बच्चे को उन स्थितियों से भी परिचित कराएं जो यौन अपराध का कारण बन सकती हैं।