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पानी की हर बूंद बचाएगा लखनऊ एक्सप्रेस वे

जागरण संवाददाता, आगरा: लखनऊ एक्सप्रेस वे सिर्फ रफ्तार ही नहीं देगा बल्कि भूगर्भ जल स्तर को भी बढ़ाएगा। बारिश की हर बूंद को जमीन के भीतर सुरक्षित भेजा जाएगा। एक्सप्रेस वे के दोनों साइड रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जा रहा है। नाली बनाने का कार्य शुरू हो गया है। मानसून आगमन से पहले सिस्टम लगकर तैयार हो जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Mar 2018 12:30 AM (IST)Updated: Thu, 01 Mar 2018 12:30 AM (IST)
पानी की हर बूंद बचाएगा लखनऊ एक्सप्रेस वे
पानी की हर बूंद बचाएगा लखनऊ एक्सप्रेस वे

जागरण संवाददाता, आगरा: लखनऊ एक्सप्रेस वे सिर्फ रफ्तार ही नहीं देगा बल्कि भूगर्भ जल स्तर को भी बढ़ाएगा। बारिश की हर बूंद को जमीन के भीतर सुरक्षित भेजा जाएगा। एक्सप्रेस वे के दोनों साइड रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जा रहा है। नाली बनाने का कार्य शुरू हो गया है। मानसून आगमन से पहले सिस्टम लगकर तैयार हो जाएगा।

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लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेस वे है। इसकी लंबाई 302 किमी है। यह सिक्स लेन है। अभी तक नेशनल हाईवे सहित अन्य रोड में बारिश के पानी की निकासी की व्यवस्था की जाती थी, लेकिन रोड के किनारे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाया जाता था। बारिश का पानी कई बार रोड पर भी भरा रहता था। लखनऊ एक्सप्रेस वे में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जा रहा है। आगरा से लखनऊ तक एक्सप्रेस वे के दोनों ओर नालियां बनाई जा रही हैं। 500 मीटर के अंतराल में हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाएंगे। इससे बारिश का पानी नाली से होते हुए दो बड़े हौज में पहुंचेगा। जहां से पाइपों के माध्यम से जमीन के भीतर चला जाएगा। उप्र एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) के एक अधिकारी ने बताया कि बारिश के पानी को बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा। मानसून से पहले सिस्टम तैयार हो जाएगा।

एक साल में होगा सर्वे

यूपीडा द्वारा वर्ष 2019 में भूगर्भ जल का सर्वे भी कराया जाएगा। इसके लिए केंद्रीय जल आयोग की मदद ली जाएगी।

इनर ¨रग रोड में नहीं है व्यवस्था

साढ़े दस किमी लंबी इनर ¨रग रोड में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगा है। इसके चलते बारिश का पानी किसानों के खेतों में भरा रहता है। इससे उनकी फसलें नष्ट हो जाती हैं।

मिट्टी के हिसाब से लगेंगे पौधे

लखनऊ एक्सप्रेस वे में संबंधित क्षेत्र की मिट्टी के हिसाब से वहां पौधे लगाए जाएंगे। यह अलग-अलग प्रजाति के होंगे।


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