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मुंबई और दिल्ली तक फैला है सटोरियों का नेटवर्क

आगरा: शहर में सटोरियों का बड़ा जाल फैला है। हर गली में छोटे-छोटे सटोरिये हैं। ये सभी बड़े सटोरियों से जुड़े हैं। इन सभी का संपर्क दिल्ली और मुंबई के बड़े सटोरियों तक है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Apr 2018 01:02 AM (IST)Updated: Mon, 23 Apr 2018 01:02 AM (IST)
मुंबई और दिल्ली तक फैला है सटोरियों का नेटवर्क
मुंबई और दिल्ली तक फैला है सटोरियों का नेटवर्क

जागरण संवाददाता, आगरा: शहर में सटोरियों का बड़ा जाल फैला है। हर गली में छोटे-छोटे सटोरिये हैं। ये सभी बड़े सटोरियों से जुड़े हैं। इन सभी का संपर्क दिल्ली और मुंबई के बड़े सटोरियों तक है। पुलिस और सफेदपोशों के संरक्षण में इनमें से कुछ अरबपति बन चुके हैं तो कुछ इसी राह पर हैं। ये पहले लोगों को जिताते हैं फिर उनकी जमा पूंजी छीनकर अपनी बना लेते हैं।

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शहर में एक ओर अवैध डिब्बा कारोबार है तो दूसरी ओर सट्टा। कुछ समय में सट्टे का काला कारोबार तेजी से बढ़ा है। पिच भले लंदन की हो या दुबई की बैटिंग आगरा में धुआंधार होती है। आगरा के ये बुकी अपना सौदा दिल्ली उतारते हैं और वहां से मामला पहुंचता है मुंबई। वहां डी कम्पनी सारे सौदों का भुगतान लेती-देती है। लेकिन स्थानीय स्तर पर सट्टेबाज यहां गद्दी संभालते हैं।

यह शुरुआती दौर में शिकार को ऐसे सौदे बताते हैं जिनमें उसे आनन-फानन में लाखों का फायदा होने लगता है। बगैर मेहनत सिर्फ कुछ टेलीफोन कॉल से जब लाखों रुपये की आमदनी ईमानदारी से होने लगती है, तब शिकार खुद सौदे करने लगता है। चूंकि यह शुरुआत में लाखों के नकद भुगतान करते हैं सो उसे भी बदले में भुगतान करना पड़ता है। पहले दौर में तो वो जीती हुई रकम से भुगतान करता है और घाटे को कवर करने की कोशिश में दूसरे सौदे लगाने लगता है। फिर धीरे-धीरे उधार शुरू हो जाता है। कुछ समय बाद दुकान और मकान गिरवी रखे जाते हैं और फिर उसे देते हैं बतौर कर्ज रकम भी। लेकिन थोड़े समय बाद बदल जाते हैं इनके तेवर और शुरू हो जाता है तगादा। उस रकम का जो सिर्फ जुबानी जमा-खर्च में हारी गई है। जो क्रिकेट की नाचती गेंदों और उठते-गिरते बल्ले के लिए दांव पर लगती है। सूत्र बताते हैं इन सटोरियों के रैकेट में शामिल पुलिसकर्मी ऐसे कर्जदारों को धमकाने और भुगतान कराने में बतौर कमीशन एजेंट भी काम करते हैं। इसीलिए उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती है।

दर्जनों घरों की खुशियों पर सटोरियों का झपंट्टा

सम्पन्न व्यापारी थे। अच्छी-खासी दुकान चलती थी। आमदनी से लाखों के वारे-न्यारे थे। मगर, तिजोरी भरने का चस्का लगा तो कौड़ियों को मोहताज हो गये। संट्टे के खेल में कूदते ही लाखों की गड्डियां हाथों में आयी तो होश खो बैठे। दांव पर दांव लगाते गये और जो कमाया था उसके साथ घर की तिजोरी भी गवां बैठे। अब दर-दर भटक रहे हैं खाली जेब लाखों का कर्जा सिर पर लिए। तगादा करते लोगों से जान का खतरा है और सटोरियों से उन्हें जान का खतरा है। कुछ इसी तरह की खतरनाक बीमारी है संट्टा। जिसको गिरफ्त में लेता है उसे मालामाल करता है और होश खोते ही कौड़ी-कौड़ी के लिए मोहताज।

बोहरा का पार्टनर जिप्पी भी एसटीएफ की रडार पर

नोएडा के जेपी ग्रींस से पकड़े गए सटोरिये श्याम बोहरा का पार्टनर कमला नगर निवासी जिप्पी भी अब एसटीएफ की रडार पर है। कुछ वर्ष पहले वह बल्केश्वर में रहता था। वर्ष 2007 में उसकी रीढ की हड्डी में गोली मार दी गई। इसके बाद वह शास्त्रीपुरम क्षेत्र में चला गया। जिप्पी की इसके बाद श्याम बोहरा से मुलाकात हुई और दोनों ने साथ में काम करना शुरू कर दिया। चार-पांच माह पहले बोहरा ने एमसीएक्स का काम अलग कर लिया, लेकिन अभी सट्टे की बुक जिप्पी के साथ ही चल रही थी।

क्रिकेट के खिलाड़ियों से सटोरियों के हैं संबंध

स्टेडियम के कर्मचारियों के माध्यम से सटोरिये खिलाड़ियों से मिलते हैं। इसके बाद उनसे मेज जोल बढ़ा लेते हैं। शहर के कई बड़े सटोरिये देश और विदेश के कई खिलाड़ियों से मिलते रहते हैं। उनके यहां होने वाले फंक्शन में महंगे गिफ्ट देकर संबंध बना लेते हैं।

विधान सभा चुनाव में मार लिए थे करोड़ों

शहर के बड़े सट्टेबाजों ने विधान सभा चुनाव के दौरान सट्टा लगवाया था। इसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाजपा की जीत पर सट्टा लगाया। बुकियों ने किसी को पैसा नहीं दिया। जयपुर के एक होटल में इसको लेकर सटोरियों की बैठक हुई। मगर, कोई हल नहीं निकला था।


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