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ताज महोत्सव में 'बोलती रामायण'

आगरा: जन-जन के आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम। उनकी सरल-सहज गाथा का अलौकिक वर्णन महषि

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Feb 2018 12:43 PM (IST)Updated: Thu, 22 Feb 2018 12:43 PM (IST)
ताज महोत्सव में 'बोलती रामायण'
ताज महोत्सव में 'बोलती रामायण'

आगरा: जन-जन के आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम। उनकी सरल-सहज गाथा का अलौकिक वर्णन महर्षि वाल्मीकि ने 'रामायण' और संत कवि तुलसीदास ने 'रामचरितमानस' में किया है। लाखों घरों में श्रद्धालु प्रतिदिन श्रीरामचरितमानस का पाठ करते हैं। ताज महोत्सव में 'बोलती रामायण' आई हुई है। इसे एक बटन दबाकर सुना जा सकता है। इसमें रामचरितमानस के सात कांड शामिल हैं। 21 घंटे की अवधि में उन्हें सुर और स्वरबद्ध किया गया है।

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ताज महोत्सव में फरीदाबाद निवासी कंपनी सेक्रेटरी दंपती अभय व श्रीकांता माहेश्वरी आए हुए हैं। उन्होंने 'बोलती रामायण' की स्टॉल लगाई है। अभय बताते हैं कि वह प्रयास इंस्टीट्यूट ऑफ एजूकेशन एंड रिसर्च से जुड़े हैं। संस्था द्वारा वर्ष 2016 में सबसे पहले सूरजकुंड के शिल्प मेले में मोबाइल की तरह नजर आने वाली 'बोलती रामायण' की डिवाइस का प्रचार-प्रसार किया था। अब तक वह 28 मेलों में रामनाम के प्रचार-प्रसार को बोलती रामायण का स्टॉल लगा चुके हैं। अभय बताते हैं कि रामकाज से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। इसीलिए वह पूरे मनोयोग से इसमें जुटे हुए हैं। बोलती रामायण को वर्ष 2015 में लिम्का बुक ऑफ रिकॉ‌र्ड्स में भी शामिल किया जा चुका है।

डिवाइस में रामायण के साथ श्रीमद्भागवत गीता भी

डिवाइस में तुलसी कृत रामचरितमानस का अक्षरश: गायन अजय मूंदड़ा द्वारा किया गया है। इसकी धुनें भी उन्होंने बनाई हैं। बालकांड से लेकर उत्तरकांड तक की सभी चौपाइयां व दोहे इसमें हैं। 21 घंटे की अवधि वाले रामायण अखंड पाठ में से सुंदरकांड या अन्य कोई भी कांड व प्रसंग जहां से सुनना चाहे वहां से सुन सकते हैं। डिवाइस में कुल 23 घंटे की रिकॉर्डिग है, जिसमें श्रीमद्भागवत गीता, हनुमान चालीसा, दुर्गा चालीसा, रामायण की आरती आदि भी हैं। इसकी कीमत 1500 रुपये है।

जब राज्यपाल ने मंगवाई डिवाइस

श्रीकांता बताती हैं पिछले दिनों उन्होंने वाराणसी में स्टॉल लगाई थी। वहां राज्यपाल रामनाईक आए थे। उन्होंने मंच से रामायण पर विचार व्यक्त किए थे। उनके पति ने सोचा कि राज्यपाल को वह डिवाइस भेंट कर दें। प्रोटोकॉल के चलते उन्हें राज्यपाल से नहीं मिलने दिया गया। जब यह बात राज्यपाल को पता चली तो उन्होंने बाद में डिवाइस को स्वयं मंगवाया।


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