भाजपा संगठन में रार, उपलब्धियां न हो जाएं बेकार
ागरा: मिशन 2019 की तैयारियों में भाजपा जुटी है। लेकिन स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधियों और संगठन में रार ने पार्टी की अंतर कलह को सबके सामने ला दिया है।
जागरण संवाददाता, आगरा: मिशन 2019 की तैयारियों में जुटी भाजपा ने केंद्र की सरकार में अपने चार वर्ष पूरे कर लिए हैं। सत्ता में वापसी के लिए शीर्ष नेतृत्व ने किलेबंदी शुरू कर दी है। पार्टी चार वर्ष की उपलब्धियां गिनाने जनता के बीच पहुंच रही है। हर हाल में पार्टी जमीन बचाने को जुटी है, लेकिन स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधियों और संगठन में रार ने पार्टी की अंतर कलह को सबके सामने ला दिया है।
केंद्र में फिर भगवा लहराने के लिए जुटी भाजपा के सामने स्थानीय जनप्रतिनिधि रोड़ा बने हुए हैं। निकाय चुनाव के शपथ ग्रहण समारोह से पार्टी की गुटबाजी सामने आ गई है। निकाय चुनाव के मंच पर विधायकों को स्थान नहीं देने के बाद से पहले से खिंची दीवारें और मजबूत हो गई। इसके बाद क्षेत्र में अतिक्रमण का आरोप और प्रशासनिक अधिकारियों को दबाव में रखने की बात कहते हुए सांसद चौधरी बाबूलाल ने एससी आयोग अध्यक्ष एवं सांसद रामशंकर कठेरिया के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया। पार्टी के दो सांसदों के आमने-सामने आने पर कार्यकर्ता भी खेमों में शरण लेने लगे। विवाद नेतृत्व तक गया और उन्होंने हस्तक्षेप करने की बात भी कही, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
इसके बाद पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा नगर निगम में लगवाने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से विधायक जगन प्रसाद गर्ग की सिफारिश के विरोध में मेयर खड़े हो गए। प्रतिमा के समर्थन में सांसद बाबूलाल के आने के बाद मामला तूल पकड़ गया। मेयर ने सांसद बाबूलाल पर निशाना साधा और उन्हें नसीहत दे डाली। अपनी ही पार्टी के सांसद के विरुद्ध मुखर होकर मीडिया के सामने बोलने पर पार्टी में फिर घमासान मच गया। नेतृत्व तक पार्टी में गुटबंदी की शिकायतें हुई और इससे संगठन पर बुरा असर पड़ने की बात कही गई। जनप्रतिनिधियों के बीच गहराते मतभेदों पर संगठन से जुड़े स्थानीय दिग्गजों ने किनारा कर लिया है। ऐसे में पार्टी की उपलब्धियों की जगह संगठन की रार ही रोज सामने आएगी तो मिशन 2019 के खतरे में पड़ने की आशंका बनी हुई है।