अवैध है जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रोजेक्ट
आगरा: जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का प्रोजेक्ट अवैध है। यह जानकारी नोएडा से आए सामाजिक कार्यकर्ता रघुराज सिंह ने दी।
जागरण संवाददाता, आगरा: जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का प्रोजेक्ट अवैध है। यह किसानों की जमीन कॉलोनाइजरोंको हस्तांतरित करने का हथकंडा है। नेशनल कैपिटल रीजन (एनसीआर) में लैंड यूज में किसी भी तरह का परिवर्तन संवैधानिक संशोधन के बिना नहीं हो सकता है। यह जानकारी नोएडा से आए सामाजिक कार्यकर्ता रघुराज सिंह ने दी।
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा की होटल केएस रॉयल, सिकंदरा में रविवार को हुई प्रेसवार्ता में रघुराज सिंह ने बताया कि जेवर एयरपोर्ट के लिए एनसीआर बोर्ड ने स्वीकृति नहीं दी है। एक आरटीआइ के तहत दिए जवाब में बोर्ड ने उक्त एयरपोर्ट बनने की जानकारी होने से ही इन्कार किया है। उन्होंने बताया कि जेवर के लिए एनसीआर बोर्ड द्वारा स्वीकृत 2021 के जोनल मास्टर प्लान में कृषि भूमि/हरित क्षेत्र रहना नियत है। एनसीआर एक्ट का लक्ष्य क्षेत्र में आबादी को सीमित रखना है, जबकि जेवर में एयरपोर्ट प्रोजेक्ट से नागरिक अवस्थापना सुविधाओं पर दबाव बढ़ेगा। यहां 30 से 40 लाख आबादी वाला नया ग्रीनफील्ड शहर बस जाएगा। जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट न तो एनसीआर के लिए उपयुक्त होगा और न आगरा के लिए। उल्लेखनीय है कि रघुराज ने दिल्ली, चंडीगढ़ और इलाहाबाद हाईकोर्ट में एनसीआर प्लान को लागू कराने के लिए जनहित याचिकाएं दायर कर रखी हैं।
वहीं, सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के महासचिव अनिल शर्मा ने बताया कि उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन जनहित याचिका में सप्लीमेंट एफीडेबिट दिया है। इसमें जेवर के ग्रीनफील्ड इंटरनेशनल प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की मांग की है। प्रेसवार्ता में शिरोमणि सिंह, राजीव सक्सेना, अधिवक्ता धु्रव गौतम आदि मौजूद थे। दिल्ली एयरपोर्ट छोटा नहीं
सोसायटी ने इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के एनसीआर की जरूरत के हिसाब से छोटा पड़ने की बात को गलत बताया। एमजीआर ग्रुप की कंपनियों द्वारा 2006 से एयरपोर्ट संचालित किया जा रहा है। 2000 हेक्टेअर जमीन अधिकार क्षेत्र में है। यहां टर्मिनल-4 को विकसित करने व संचालित करने के लिए सरकार 16 हजार करोड़ रुपये की योजना को पूर्व में ही स्वीकृत कर चुकी है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका में 1200 हेक्टेअर जमीन में बने हीथ्रो हवाई अड्डे पर दिल्ली से काफी अधिक फ्लाइट संचालित होती हैं। ऐसे में दिल्ली में 2000 हेक्टेअर जमीन पर बने हवाई अड्डे पर सरकार क्यों सुविधाएं नहीं बढ़ाती। नहीं मान रहे रीजनल प्लान 2001 को
नेशनल कैपिटल जोन प्लानिंग एक्ट वर्ष 1985 में लागू हुआ था। इसमें उप्र, राजस्थान, हरियाणा के जिलों व दिल्ली को शामिल किया गया था। उप्र के बुलंदशहर, मथुरा और अलीगढ़ इसमें आते हैं। इसका लक्ष्य आबादी को इस तरह नियंत्रित करना है, जिससे दिल्ली व एनसीआर के अन्य जिलों के शहरी निकायों की अवस्थापना सुविधाओं पर दबाव न पड़े। उल्लेखनीय है कि पिछले तीन वर्षो में एनसीआर के शहरों नोएडा, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटियों के अलावा यमुना एक्सप्रेस-वे इंडस्ट्रियल डवलपमेंट अथॉरिटी ने रीजनल प्लान, 2001 को नहीं माना है।