जलेसर-हाथरस के कारीगर संवारेंगे कलश
आगरा: 11 अप्रैल को आए तूफान से टूटे जामा मस्जिद और ताज के कलश जलेसर (एटा) व हाथरस के कारीगर संवारेंगे।
जागरण संवाददाता, आगरा: 11 अप्रैल को आए तूफान से टूटे जामा मस्जिद और ताज के कलश जलेसर (एटा) व हाथरस के कारीगर संवारेंगे। आगरा में कलश संवारने वाले कारीगरों के नहीं होने से ऐसा होगा। कलशों के पुरातात्विक महत्व को देखते हुए उन्हें बाहर नहीं भेजा जा सकता। इसीलिए कारीगरों को ही हाथरस या जलेसर से बुलाकर उनकी मरम्मत कराई जाएगी।
ताजनगरी में 11 अप्रैल को आए तूफान ने स्मारकों में जमकर तबाही मचाई थी। सबसे ज्यादा नुकसान ताजमहल में हुआ था। यहां रॉयल गेट व दक्षिणी गेट का उत्तर-पश्चिमी गुलदस्ता पिलर गिरकर टूट गए थे। गुलदस्ते के शीर्ष पर लगे कलश गिरने की वजह से क्षतिग्रस्त होकर कई जगह से पिचक गए हैं। ऐसा ही हाल जामा मस्जिद में मुख्य गुंबद के ऊपर लगे कलश का हुआ है। वह बीच में से टूटकर गिर गया था। यह कलश कॉपर के बने हुए हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा संरक्षण को एस्टीमेट तैयार करते वक्त इन कलशों को दुरुस्त कराने पर भी विचार किया गया। जब शहर में कलश संवारने वाले कारीगरों की तलाश की गई, तो यहां कारीगर नहीं मिले। जानकारी करने पर पता चला कि इस तरह का काम जलेसर व हाथरस में होता है। वहां, इन्हें सही कराया जा सकता है। हालांकि, अब इसमें नया पेच फंस गया है। तूफान से टूटे कलश पुरातात्विक महत्व के हैं। उन्हें बाहर नहीं भेजा जा सकता है। इसलिए उनकी मरम्मत को जलेसर या हाथरस से कारीगर आगरा बुलाए जाएंगे।
लगेगी स्टील की रॉड
जाम मस्जिद व ताज के कलश को दोबारा जोड़ने के लिए स्टेनलेस स्टील की रॉड लगाई जाएगी। पहले यहां लोहे की रॉड लगी हुई थी। वहीं, जामा मस्जिद के मुख्य गुंबद से टूटे कलश के लिए लगाई गई रॉड में बैलेंस के लिए जाल की तरह सरिया लगी हुई थीं। दोबारा स्टेनलेस स्टील की रॉड लगाते समय भी उसमें अन्य सरिया लगाकर जाल बनाया जाएगा।
नहीं उठा सके कर्मचारी
जामा मस्जिद का करीब 15 फुट ऊंचा कलश 10 हिस्सों में बना हुआ है। तूफान में यह करीब छह फुट ऊंचाई से टूट गया था। एएसआइ कर्मचारियों ने जब टूटे हुए हिस्से को उठाने की कोशिश की तो वह उसे उठा नहीं सके। यह काफी भारी थे। एक-एक पार्ट्स करीब 50 किग्रा वजन का था।