Move to Jagran APP

घर-घर की कहानी है 'डॉटर बाइ कोर्ट ऑर्डर'

जागरण संवाददाता, आगरा: उन्होंने कलम उठाई तो पितृसत्तात्मक समाज में नारी के साथ होने वाले भेदभाव व उसके अधिकारों की बात छेड़ते हुए नारी के हक की आवाज उठाई। पहली ही पुस्तक 'डॉटर बाइ कोर्ट ऑर्डर' में नायिका के संघर्ष का ऐसा चित्रण किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मुरीद हो उठे। महिला सशक्तीकरण को वो स्त्री को समान अधिकार की बात करती हैं। मंगलवार शाम होटल आइटीसी मुगल में प्रभा खेतान फाउंडेशन, अहसास वीमेन्स ऑफ आगरा द्वारा आयोजित कार्यक्रम 'कलम' में लेखिका वीरा रत्ना शहर के प्रबुद्धजनों से रूबरू हुई। अहसास वीमेन्स ऑफ आगरा की श्वेता बंसल ने उनसे सवाल किए। कार्यक्रम में हॉस्पिटेलिटी पार्टनर होटल आइटीसी मुगल और मीडिया पार्टनर दैनिक जागरण रहा। स्वागत भाषण कैप्टन अमित पचौरी ने और धन्यवाद ज्ञापन विनीता ने दिया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Mar 2018 10:52 PM (IST)Updated: Tue, 27 Mar 2018 10:52 PM (IST)
घर-घर की कहानी है 'डॉटर बाइ कोर्ट ऑर्डर'
घर-घर की कहानी है 'डॉटर बाइ कोर्ट ऑर्डर'

जागरण संवाददाता, आगरा: उन्होंने कलम उठाई तो पितृसत्तात्मक समाज में नारी के साथ होने वाले भेदभाव व उसके अधिकारों की बात छेड़ते हुए नारी के हक की आवाज उठाई। पहली ही पुस्तक 'डॉटर बाइ कोर्ट ऑर्डर' में नायिका के संघर्ष का ऐसा चित्रण किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मुरीद हो उठे। महिला सशक्तीकरण को वो स्त्री को समान अधिकार की बात करती हैं। मंगलवार शाम होटल आइटीसी मुगल में प्रभा खेतान फाउंडेशन, अहसास वीमेन्स ऑफ आगरा द्वारा आयोजित कार्यक्रम 'कलम' में लेखिका वीरा रत्ना शहर के प्रबुद्धजनों से रूबरू हुई। अहसास वीमेन्स ऑफ आगरा की श्वेता बंसल ने उनसे सवाल किए। कार्यक्रम में हॉस्पिटेलिटी पार्टनर होटल आइटीसी मुगल और मीडिया पार्टनर दैनिक जागरण रहा। स्वागत भाषण कैप्टन अमित पचौरी ने और धन्यवाद ज्ञापन विनीता ने दिया।

loksabha election banner

सवाल: उम्र के किस पड़ाव पर लिखने के बारे में सोचा?

जवाब: मैं शुरू से लिख रही हूं, मगर पुस्तक लिखने के बारे में काफी देर से सोचा। कॉरपोरेट व‌र्ल्ड में काम करने के दौरान मैं हमेशा कॉपी में पीछे कुछ न कुछ लिखती रहती थी। किताब लिखना शुरू किया तो पुराने नोट्स पढ़ना शुरू किए। इनमें ऐसा काफी कुछ मिला जो मैं भूल चुकी थी। सवाल: डॉटर बाइ कोर्ट ऑर्डर ने समाज को झकझोर दिया। उबलते अंगारे की तरह काम किया। इसकी कहानी को प्रेरणा कहां से मिली?

जवाब: यह कहानी बिल्कुल मेरी है, लेकिन मेरी ही नहीं है। यह घर-घर की कहानी है। पितृसत्तात्मक समाज में नारी को अधिकार नहीं मिलना, उसकी राय नहीं लेना, उसके साथ भेदभाव करना आज भी उतना ही बड़ा मुद्दा है जितना हमारी दादी के समय था। इलीट क्लास के लोग बोलते हैं कि यह गली-कूचों, गांवों में होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। यह पैसे वालों के यहां भी यह होता है। सवाल: महिलाओं को अधिकार नहीं मिलने के लिए क्या सूचनाओं का अभाव व उन्हें उनके हक के बारे में नहीं बताया जाना है?

जवाब: जब एक लड़की पैदा होती है तो उस पर बचपन से ही तमाम पाबंदियां थोप दी जाती हैं। शादी के बारे में भी उसकी राय नहीं ली जाती। उसे दर्द को दबाकर रखने और समझौता करने की सीख दी जाती है। उसे उसके कानूनी अधिकारों के बारे में जानने का मौका भी नहीं मिलता। सवाल: डॉटर बाइ कोर्ट ऑर्डर की नायिका घर क्यों छोड़ देती है?

जवाब: उसके परिवार ने हर बात की हद कर दी थी। उसका दिल टूट गया था कि जब मैं हूं ही नहीं, तो मैं कुछ बनकर देखती हूं। इसीलिए वह घर छोड़ देती है और अपने हक को कानूनी लड़ाई लड़ती है। सवाल: किताब में हर अध्याय से पहले कोट क्यों लिखे?

जवाब: मैं किताब लिख चुकी थी। मेरी बेटी सुहासिनी ने कहा कि हर अध्याय से पहले कोट लिखेंगी तो अच्छा लगेगा। फिर दोबारा कोट लिखे। बेटे शौर्य ने एक किताब तक सीमित न रहकर दूसरी किताब लिखने को कहा। उसने पांच हजार शब्द लिखने को कहा था। मैंने 2500 शब्द लिखे और उसे पढ़ाए। सवाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपकी किताब की तारीफ की। इसके बाद आपने फोरम शुरू किया। भविष्य में क्या करना है?

जवाब: शुरुआत में मुझे भी अपने अधिकार पता नहीं थे। अपने अधिकार जाने और वहीं से शुरुआत की। मैं चुपचाप काम कर रही हैं। किताब पढ़ने के बाद लोग बात करते हैं। सोच बदलने को प्रेरित कर सकी तो बदलाव आएगा। सवाल: अब आगे क्या पढ़ने को मिलेगा?

जवाब: इस साल मेरी एक पुस्तक आएगी। दो पुस्तकें पाइपलाइन में हैं। स्टूडेंट्स, कामकाजी महिलाओं पर कुछ लिखूंगी। महिला सशक्तीकरण तभी हो सकता है जब हमें इस मुद्दे पर बात ही नहीं करनी पड़े। यह रहे मौजूद

डॉ. रंजना बंसल, मंजूषा चंद्रा, कविता अग्रवाल, पूजा बंसल, अतुल जैन, संगीता ढल, मीनाक्षी कलसी, सुरुचि सचदेवा, हरविंदर सोढ़ी, भरत बंसल, रितु खंडेलवाल, नताशा गोयल, रंजिनी मेनन, बॉबी खट्टर, तेज कथूरिया, पूर्वा शर्मा आदि।

लेखक बनने के लिए चाहिए साहस

सवाल: पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं को अधिकार नहीं होने का ज्वलंत मुद्दा आपने उठाया। इस पर पूरे देश में चर्चा हुई। इस स्थिति में बदलाव कैसे आएगा?

जवाब: समाज को अपनी सोच बदलनी होगी। हमें लड़का व लड़की में भेदभाव न कर उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के समान अवसर प्रदान करने होंगे। तभी इस स्थिति में परिवर्तन आ सकेगा।

सवाल: सरकार द्वारा महिला व पुरुषों में भेदभाव व असमानता दूर करने को किए जा रहे प्रयासों से संतुष्ट हैं?

जवाब: काम हो रहा है औ रफ्तार नजर आ रही है। यह चलता ही जाएगा। जब किसी काम में सरकार का सहयोग मिलता है तो वह रफ्तार से पूरा होता है।

सवाल: पहली ही किताब देश में सुर्खियों में रही। दूसरी किताब फिक्शन लिखी। अब भविष्य में किस विषय पर लिखेंगी?

जवाब: मेरी दोनों किताबें डॉटर बाइ कोर्ट ऑर्डर और इट्स नॉट अबाउट यू फिक्शन हैं। इनमें लिए गए मुददे सोच को हिलाने वाले हैं। मेरी कोशिश है कि हर किताब में एक नया मुद्दा लेकर सामने आऊं। मैं नॉन-फिक्शन भी लिखना चाहती हूं।

सवाल: प्रशंसकों व आलोचकों के बारे में क्या कहना चाहेंगी?

जवाब: लेखक बनने के लिए साहस होना चाहिए। जिंदगी में कुछ दिन अच्छे होते हैं तो कुछ बुरे। मैं किसी की बात को मन से नहीं लगाती हूं। बुरा लगता है तो अधिक चाय पी लेती हूं। रोने लगती हूं। उनके सुझावों को ग्रहण कर स्वयं में सुधार करने की कोशिश करती हूं। हर परिस्थिति में सीखना मेरी ताकत है।

सवाल: सोशल मीडिया के दौर में जब युवा साहित्य से दूर हो रहे हैं, तब उन्हें इससे जोड़ने को क्या करना होगा?

जवाब: हमें उन्हें समझना होगा। उनकी समस्याओं के बारे में जानना होगा और रिसर्च करनी होगी। उसी पर लिखना होगा। अपनी पहली किताब में मैंने महिलाओं की समस्या को उठाया तो दूसरे में टीनएजर्स की। बड़ी संख्या में टीन एजर्स मेरे फॉलोवर्स हैं। कलम का उद्देश्य ¨हदी भाषा व साहित्यकारों को प्रोत्साहन देना है। हम 18 शहरों में यह प्रयास कर रहे हैं कि ¨हदी के प्रति लोगों का रुझान बढ़े। ¨हदी के लेखकों को शहर के लोगों से रूबरू कराए जाए। ¨हदी हमारी संपत्ति है, जिसका संरक्षण करने का प्रयास हम कर रहे हैं।

-अपरा कुच्छल, कलम उप्र व राजस्थान हमारी कोशिश साहित्यकारों से शहर के हर वर्ग को रूबरू कराने की है। आज पहला आयोजन हुआ है, जिसमें शहर के एक वर्ग को रत्ना वीरा से रूबरू होने मौका मिला। हर दो माह में एक कार्यक्रम हम शहर में कराएंगे। अलग-अलग वर्ग के लोगों को बुलाया जाएगा।

-श्वेता बंसल, अहसास वीमेन ऑफ आगरा आइटीसी शुरू से ही कला, संस्कृति और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत रहा है। इस तरह की गतिविधियों से हमारी कलाओं को संरक्षण मिलता है। कार्यक्रम अच्छा रहा। लोगों को आपस में संवाद का मौका मिला। भविष्य में भी हम इस तरह के प्रयासों को सहयोग देते रहेंगे।

-कैप्टन अमित पचौरी, एचआर हेड, होटल आइटीसी मुगल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.