प्रतिबंध के नाम पर रस्म अदायगी, ऐसे तो मिलने से रहा पॉलीथिन से छुटकारा Agra News
नगर निगम की टीम कर रही अभियान के नाम पर खानापूर्ति।
आगरा, जागरण संवाददाता। एक साल पूर्व पॉलीथिन कैरीबैग पर प्रतिबंध लगा था। नगर निगम सहित दस विभागों को मिलकर पॉलीथिन की बिक्री को रोकना था, लेकिन जिस तरीके से अभियान चल रहा है, उसे देख कर तो यही लगता है कि इसे पूरी तरह से खत्म करने में कई साल लग जाएंगे।
प्रदेश सरकार ने दो अक्टूबर 2018 को सिंगल यूज प्लास्टिक और पॉलीथिन (50 माइक्रॉन से कम) की बिक्री पर रोक लगाई थी। एक माह तक अभियान बेहतर तरीके से चला, फिर रस्म अदायगी होने लगी। हाल यह है कि सप्ताह में एक से दो दिन अभियान चलाया जाता है। कभी सौ ग्राम तो कभी एक किग्रा पॉलीथिन पकड़ी जाती है। कई बार तो अभियान नहीं चलता है। यहां तक जागरूकता को लेकर पार्षद भी ध्यान नहीं दे रहे हैं।
नहीं पूछा जाता, कहां से आ रही पॉलीथिन
पॉलीथिन मिलने पर नगर निगम की टीम संबंधित दुकानदार पर जुर्माना लगाकर छोड़ देती है। पॉलीथिन को जब्त कर लिया जाता है, लेकिन दुकानदार पॉलीथिन कहां से लाया है, इसकी जानकारी कर उस स्थल पर छापा नहीं मारा जाता है।
आंकड़ों पर ध्यान, हकीकत पर नहीं
हर माह पॉलीथिन विरोधी अभियान की कई बैठकें होती हैं। यह बैठकें नगर निगम, कलक्ट्रेट और कमिश्नरी में होती हैं। कार्रवाई के आंकड़े प्रस्तुत किए जाते हैं, लेकिन अफसर हकीकत जानने का प्रयास नहीं करते हैं। हालांकि बैठकों में सख्त कार्रवाई की बात कही जाती है। आदेश फाइलों में कैद होकर रह जाता है।
थोक बाजार पर नहीं हो रही कार्रवाई
छत्ता बाजार व उसके आसपास पॉलीथिन का थोक बाजार है। यहां नगर निगम की टीम ने डेढ़ माह से कोई कार्रवाई नहीं की है। यही वजह है कि बाजार धड़ल्ले से चल रहा है।
अभियान की समीक्षा
जल्द ही पॉलीथिन विरोधी अभियान की समीक्षा की जाएगी। इसे बेहतर तरीके से चलाने के लिए कहा जाएगा।
नवीन जैन, मेयर