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Agra Metro Project: आगरा में मेट्रो को ग्रीन सिग्नल लेकिन माननी होंगी ये बंदिशें

Agra Metro Project पर्यावरण और ऐतिहासिक इमारतों संबंधी आपत्तियों की तीन सप्ताह बाद होगी सुनवाई।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Thu, 23 Jul 2020 06:58 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 06:58 PM (IST)
Agra Metro Project: आगरा में मेट्रो को ग्रीन सिग्नल लेकिन माननी होंगी ये बंदिशें
Agra Metro Project: आगरा में मेट्रो को ग्रीन सिग्नल लेकिन माननी होंगी ये बंदिशें

आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा मेट्रो की राह अब और भी आसान हो गई है। बंदिशों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने उप्र रेल मेट्रो कॉरपोरेशन (यूपीएमआरसी) को सैद्धांतिक अनुमति दे दी है। पर्यावरण और ऐतिहासिक इमारतों संबंधी आपत्तियों की सुनवाई जारी रहेगी। यह सुनवाई तीन सप्ताह के बाद होगी। अनुमति मिलने से अब मेट्रो का कार्य तेजी से पूरा हो सकेगा। यूपीएमआरसी को पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ) और राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) से अनुमति लेनी होगी।

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आगरा में मेट्रो ट्रैक तीस किमी लंबा होगा। पहला कॉरिडोर सिकंदरा से ताज पूर्वी गेट तक 14 और दूसरा कॉरिडोर आगरा कैंट से कालिंदी विहार तक 16 किमी लंबा होगा। मेट्रो प्रोजेक्ट कुल 8369 करोड़ रुपये का है। मेट्रो की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट राइट्स संस्था ने तैयार की थी। इसके दायरे में बड़ी संख्या में पेड़ और पौधे आ रहे हैं। पीएसी ग्राउंड में मेट्रो का डिपो बनना है। पेड़ काटने को लेकर सुप्रीम कोर्ट मेें याचिका दायर की गई। एक साल पूर्व दायर याचिका की सुनवाई होती रही। कोर्ट ने चार दिसंबर 2019 को केंद्रीय अधिकारिता समिति (सीईसी) और राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियङ्क्षरग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) से मेट्रो को लेकर रिपोर्ट मांगी। जिसकी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल कर दी गई। मेट्रो ट्रैक बिछाने में 1823 पेड़ काटे जाएंगे। कोर्ट ने कहा है कि गैर संरक्षित वन क्षेत्र में 4.18 हेक्टेअर जमीन चिन्हित की गई है। जहां पर पौधे लगाए जाएंगे। इसकी निगरानी एमओईएफ द्वारा की जाएगी।

इन शर्त के साथ दी गई अनुमति

- गैर वन क्षेत्र 4.18 हेक्टेअर पर पौधे लगाने होंगे।

- एमओईएफ और एनएमए से अलग से अनुमति लेनी होगी।

- वन भूमि की जितनी कीमत है। उतनी धनराशि जमा करनी होगी।

- कम से कम पेड़ काटे जाएं, इस बात का ध्यान रखना होगा।

- 18230 पौधे अनिवार्य रूप से लगाने होंगे। इसकी निगरानी का जिम्मा क्षेत्रीय निदेशक सोशल फॉरेस्ट्री को दिया गया है।

- प्रत्येक मेट्रो स्टेशन और डिपो पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य रूप से लगाना होगा और पार्किंग का इंतजाम करना होगा।

- जहां क्षेत्र में पौधे लगाए जाएंगे। वहां दो फीट ऊंची बाउंड्रीवाल अनिवार्य रूप से होनी चाहिए।

- पौधे लगाने के तीन साल तक उनके अनुरक्षण पर विशेष ध्यान देना होगा। खासकर गर्मियों में पानी देना होगा।

- एमओईएफ द्वारा मेट्रो प्रोजेक्ट पर लगातार नजर रखी जाएगी और पौधों को रिपोर्ट भी भेजनी होगी। 


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