Positive India: फंसे हुए लोगों को घर पहुंचा रहा प्रशासन, हर डिपों से चलाई जा रहीं बसें
पूरा देश लॉकडाउन के चलते बंद होने के कारण मजदूर कामगार लौट रहे हैं अपने घर। साधन न होने से हजारों लोग पैदल ही सफर तय करने को थे मजबूर।
आगरा, जागरण संवाददाता। शनिवार सुबह एक व्यक्ति की पैदल चलकर सफर तय करने के दौरान हुई मौत के बाद प्रशासन को ऐसे लोगों की फिक्र सताने लगी है। लॉकडाउन में फंसे लोगों को उनके घर तक पहुचाने के लिए हर डिपों से बसें चलाई जा रही हैं। इसके चलते आईएसबीटी पर भारी संख्या में लोग पहुंच गए हैं। मथुरा में कोसी के कोटवां बार्डर से भी अलग अलग स्थानों के लिए बसें रवाना की गईं हैं। भीड़ अधिक होने के कारण लोग जबरन छतों पर चढ़कर अपने गंतव्य तक पहुंच रहे हैं। आईएसबीटी पर व्यवस्थाओं का निरीक्षण करने दोपहर में कमिश्नर अनिल कुमार और आईजी ए सतीश गणेश पहुंचे थे। लोगों को दूरी बनाकर ही सफर करने की हिदायत दी।
बता दें कि कोरोना से जंग को देश में लॉकडाउन होने के बाद शहरों से मजदूर अपने गांवों के लिए पैदल ही निकल रहे हैं। दिल्ली में खाने का संकट होने पर मध्यप्रदेश में अपने गांव को पैदल निकले मजदूर की शनिवार सुबह आगरा में सीने के दर्द के बाद मौत हो गई थी। कोरोना से जंग में पैदल अपने घर निकले मजदूर की मौत का यह पहला मामला सामने आने के बाद प्रशासन में खलबली मच गई। मुरैना में अंबाह में बड़ का पुरा निवासी 38 वर्षीय रणवीर दिल्ली के तुगलकाबाद में एक रेस्टोरेंट से होम डिलीवरी का काम करता था। लॉकडाउन के बाद रेस्टोरेंट बंद हो गया। वह शुक्रवार को दिल्ली से अपने घर के लिए दो साथियों संजय व एक अन्य के साथ चल दिया। हाईवे पर कहीं किसी वाहन में लटककर थोड़ी दूर का सफर तय किया तो कहीं पैदल ही चलते रहे। शनिवार को सुबह पांच बजे वे आगरा पहुंच गए। सिकंदरा क्षेत्र में कैलाश मोड़ पर गुप्ता हार्डवेयर के सामने पहुंचते ही रणवीर को बेचैनी होने लगी। वह सड़क किनारे बैठ गया। हार्डवेयर शॉप मालिक वहां पर खड़े थे। उन्होंने उसको परेशान देखा तो पास पहुंचे। रणवीर ने उन्हें सीने में दर्द होने की बात कही। उन्होंने सोचा कि पैदल चलने की वजह से हो रहा होगा। दुकान के सामने तिरपाल बिछाकर उन्होंने आराम करने को कह दिया। घर से चाय और बिस्कुट लाकर उसे खिलाए। इसके बाद तबियत बिगड़ती गई। थोड़ी देर में ही मौत हो गई। सुबह साढ़े सात बजे पुलिस वहां पहुंची। मोबाइल के माध्यम से उसकी शिनाख्त हो गई। रणवीर के साले अरविंद सुबह नौ बजे पहुंच गए। अभी पोस्टमार्टम की प्रक्रिया चल रही है। एसएसपी बबलू कुमार ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद युवक की मौत का कारण स्पष्ट होगा।
इनकी है मजबूरी
- एनएचएआई में काम करने वाले युवक झारखंड के पलामू के रहने वाले हैं। शुक्रवार रात अपने घरों से निकलकर शनिवार को वह गुरुद्वारा गुरु का ताल के सामने आईएसबीटी पर पहुंचे। उन्होंने बताया की खाने की सुविधा हमें मिल रही थी परंतु घरवाले चिंतित थे इसलिए अपने घर जा रहे हैं। यहां से पलामू की दूरी 900 किलोमीटर की है। फिलहाल यह लोग आईएसबीटी पर जा रहे हैं बस पकड़ने के लिए। उनका कहना है कि अगर बस नहीं मिली तो हम पैदल ही अपने घर की तरफ चल पड़ेंगे।
- दिल्ली में अमेजॉन कंपनी में डिलीवरी का काम करने वाले युवक इटावा के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि अपने घर जाना ही इस समय सबसे ज्यादा सुरक्षित है। क्योंकि पता नहीं लॉक डाउन कितने दिनों का होगा।
- लुधियाना में पिछले 15 सालों से पीओपी का काम करने वाले आदेश नाई की मंडी के रहने वाले हैं। पांच दिन पहले साइकिल से आए थे। फरीदाबाद से अपने दोस्तों के साथ शनिवार को दोपहर आगरा पहुंचे।
- एंथिला एंथम बनाने वाले मजदूर सेक्टर 15 में पिछले काफी लंबे समय से झुग्गी झोपड़ी बनाकर रह रहे थे। शनिवार दोपहर सभी मजदूर अपने अपने घरों की तरफ रवाना होने के लिए तैयार हो गए। बताया जा रहा है कि यहां कम से कम 100 झोपड़ियां थींं और इनमें रहने वालों की संख्या 200 से ढाई सौ के बीच में है। कोई टीकमगढ़ में रहता है तो कोई बिहार में कोई झारखंड का निवासी है। पुलिस बसों में इन मजदूरों को भेजने का प्रबंध कर रही है।