कोरोना ने सिखाया कम संसाधनों में भी बेहतर करना
बच्चों ने कोरोना से ली सीख बड़ों को कर रहे सावधान
आगरा, जागरण संवाददाता। भले ही हम सोचते हैं कि कोविड-19 मुख्यत: दुनिया में बुजुर्गों को ही निशाना बना रहा है, लेकिन गरीब देशों में इसका असर उससे भी प्रलयंकारी है।
मानवता की एक बड़ी उपलब्धि यह है कि 1990 के दशक के बाद से दो-तिहाई निर्धन आबादी को भयावह गरीबी से बाहर निकाला गया है। लेकिन अफसोस इस बात का है कि अब यह चक्र प्रकृति के इस प्रकोप के कारण बदल रहा है। संक्षिप्त में कोरोना महामारी के कारण बीमारियों, निरक्षरता और भयावह गरीबी की आपदा भी दस्तक देने लगी है और बच्चे भी इसके शिकार हो रहे हैं। कोविड-19 का दुष्प्रभाव केवल उन पर नहीं होगा, जो इसके संक्रमण में आए है, बल्कि भारत जैसे विकासशील राष्ट्रों पर अधिक पड़ रहा है, जिनकी अर्थव्यवस्था, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ज्यादा निर्भर करती है।
आज प्रकृति के इस प्रकोप के कारण बीते कुछ वर्षों के दौरान हासिल हुई तरक्की पीछे जाती हुई दिख रही है। अनुमान है कि कोरोना से उत्पन्न गतिरोध के कारण करीब दस करोड़ बच्चे खसरा रोधी वैक्सीन से वंचित रह जाएंगे।
मुझे इन निराशापूर्ण परिस्थितियों के साथ महान भौतिक विज्ञानी गैलीलियो की प्रसिद्ध बात भी याद आ रही है कि ''विश्व में कुछ भी सही-गलत नहीं होता, लेकिन हमारा नजरिया उसको निर्धारित करता है।''
आज कोविड-19 ने बच्चों को दुविधा में डालने के साथ-साथ एक अवसर भी प्रदान किया है। जैसा कि हम जानते हैं कि कोरोना के कारण अब सभी छात्र-छात्राएं आनलाइन कक्षाओं पर मुख्यत: निर्भर हैं, लेकिन इसके साथ आज वे आनलाइन कक्षाओं से बचे समय को दूसरे कार्यों में प्रयोग कर पा रहे हैं। वे आज अपना ज्यादा समय अपने माता-पिता के साथ व्यतीत कर पा रहे हैं और अपनी अलग कलाओं पर भी ध्यान दे पा रहे हैं। बच्चों को आज अपनी सेल्फ स्टडी के लिए ज्यादा समय भी मिल पा रहा है।
मैंने इस कोरोना के दुष्प्रभाव के साथ कई और अन्य चीजें भी सीखी हैं। आज इस कोरोना के कारण मेरा और सभी बच्चों का ध्यान साफ-सफाई और पौष्टिक आहार की ओर आकर्षित हुआ है। इस कोविड-19 ने सभी बच्चों सहित मुझे मोबाइल की काल्पनिक दुनिया से बाहर निकालकर अन्य लोगों के साथ मिलनसार होना भी सिखाया है।
अंतत: कोरोना वायरस ने हमें कई सकारात्मक अवसर प्रदान किए हैं, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है, इसलिए हम सभी को सरकार के निर्देशों का पालन करना चाहिए और अपने राष्ट्र एवं समाज के अच्छे की कामना करनी चाहिए।
आर्चांशु लवानियां, कक्षा 10, होली पब्लिक स्कूल।