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Agra Hospital Fire: फोरेंसिक लैब में सुलझेगी आर मधुराज अस्पताल में आग लगने की गुत्थी, टीम ने लिये नमूने

Agra Hospital Fire वैज्ञानिकों की टीम ने दुकान की दीवारों और फर्श से लिए हैं कई नमूने। दीवार की खुरचन और स्वैब की होगी लैब में जांच। अस्पताल के संचालक के स्वजन ने अग्निकांड के पीछे साजिश की भी जताई थी आशंका।

By Ali AbbasEdited By: Tanu GuptaPublished: Thu, 06 Oct 2022 01:30 PM (IST)Updated: Thu, 06 Oct 2022 01:30 PM (IST)
Agra Hospital Fire: फोरेंसिक लैब में सुलझेगी आर मधुराज अस्पताल में आग लगने की गुत्थी, टीम ने लिये नमूने
आर. मधुराज अस्पताल की दुकान में लगी के बाद घटनास्थल का दृश्य

आगरा, अली अब्बास। शाहगंज के नरीपुरा में जगनेर मार्ग स्थित अस्पताल में आग लगने से उसके संचालक और पुत्र-पुत्री की मृत्यु दम घुटने से हुई थी। जिसकी तीनों की पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी हो चुकी है। मगर, यह आग शार्ट सर्किट से लगी या जैसा कि स्वजन आशंका जता रहे हैं कि वह साजिश के तहत लगाई गई, इसकी गुत्थी अब फोरेंसिक लैब में सुलझेगी। बुधवार को अस्पताल से वैज्ञानिकों की टीम ने साक्ष्य एकत्रित किए थे। जिनका परीक्षण फोरेंसिक लैब में वैज्ञानिकों द्वारा किया जाएगा।

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क्या हुआ था बुधवार तड़के

जगनेर मार्ग पर बुधवार की तड़के आर. मधुराज अस्पताल के भूतल पर बनी दुकान में आग लग गई थी। जिसमें फोम समेत अन्य सामान रखा हुआ था। भीषण आग से दुकान में एसी के लिए बनी डक्ट के माध्यम से धुआं भूतल पर रहने वाले अस्पताल संचालक राजन सिंह उर्फ राजेंद्र के आवास में भर गया था। अग्निकांड में अस्पताल संचालक 47 वर्षीय राजन सिंह उनकी पुत्री सिमरन उर्फ शालू 18 वर्ष और पुत्र ऋृषि 15 वर्ष की दम घुटने से मृत्यु हो गई थी।

अस्पताल के संचालक के पिता व परिवार के अन्य लोगों आग लगने की घटना के पीछे साजिश की आशंका भी जताई है। हालांकि पुलिस और अग्निशमन विभाग की प्रारंभिक छानबीन में आग शार्ट सर्किट से लगने की आशंका जताई गई है। पुलिस ने आग लगने के कारणों की जांच के लिए वैज्ञानिकों की टीम मौके पर बुलाई थी। टीम ने घटनास्थल से छह से सात नमूने जांच करने को लिए हैं।  

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वैज्ञानिक इस तरह लेते हैं घटनास्थल से स्वैब

आग लगने वाले घटनास्थल से स्वैब लेने के लिए वैज्ञानिक डिस्टिल वाटर का प्रयोग करते हैं। दीवार, फर्श, सीढ़ियों आदि जिन स्थानों से साक्ष्य मिलने की संभावना होती है, वहां पर डिस्टिल वाटर डालकर नमूनों को उठाया जाता है। इसके अलावा दीवारों को  खुरच कर उनके भी नमूने लिए जाते हैं। जिनका लैब में परीक्षण किया जाता है।  

लैब में ऐसे होगा दूध का दूध और पानी का पानी

-घटनास्थल पर यदि किसी ने साजिश के तहत पेट्रोल, मिट्टी का तेल या अन्य ज्वलनशील पदार्थ डाल कर आग लगाई है। वहां की दीवारों या फर्श, दरवाजे, खिड़की आदि पर आग लगने और बुझाने के बाद भी उसके कण जरूर रह जाते हैं। लैब में परीक्षण के दौरान यह कण मिल जाते हैं। जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि आग किसी ने ज्वलनशील पदार्थ डालकर लगाई गई है।

-शार्ट सर्किट से लगी आग में दीवारों की खुरचन समेत अन्य संभावित चिन्हित स्थानों से लिए गए में ज्वलनशील पदार्थों के कण नहीं मिलते हैं। दीवारों पर वायरिंग के जलने आदि के निशान भी मिलते हैं।  


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