समय के साथ समृद्ध हुई है अपनी ¨हदी
आगरा: समय के साथ ¨हदी समृद्ध हुई है। जिस तरह से सागर में कई नदियां आकर मिलती हैं, उसी तरह ¨हदी में भी कई भाषाएं समाहित हैं।
आगरा: समय के साथ ¨हदी समृद्ध हुई है। जिस तरह से सागर में कई नदियां आकर मिलती हैं, उसी तरह ¨हदी में कई भाषाओं के शब्द आकर मिले हैं। यह विचार शनिवार को डीईआइ के कला संकाय विभाग द्वारा आयोजित ¨हदी दिवस समारोह में विज्ञान कथाकार देवेंद्र मेवाड़ी ने रखे। 'ज्ञान के विविध क्षेत्र और ¨हदी' विषय पर उन्होंने कहा कि भाषा ऐसी हो जिसे हर कोई समझ सके। वर्तमान में यहां तीन श्रेणी में लेखन हो रहा है। पहली तकनीकी, इसे शोधकर्ता लिखते हैं। इसका सरलीकरण करने के लिए दूसरी श्रेणी अर्द्ध तकनीकी, जिसे समझाने के लिए गुरुओं का योगदान है और तीसरी श्रेणी लेखक की है। वे अपनी सरल भाषा के जरिये हर किसी के जेहन में जगह बना लेते हैं। विशिष्ट अतिथि क्षेत्रीय आयुक्त भविष्य निधि आरके पाल ने कहा कि अंग्रेजी ने हमारी भाषा और संस्कृति को खत्म करने का प्रयास किया है। जोर दिया कि ¨हदी में जहां तक हो सरल शब्दों का प्रयोग करें। डीन जेके वर्मा, विभागाध्यक्ष प्रो. शर्मिला सक्सेना, रंगकर्मी अनिल शुक्ल, उमाकांत चौबे, प्रेमशंकर सिंह उपस्थित रहे। संचालन बृजराज सिंह ने किया। ये रहे विजेता
पहले दिन हुई प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित किया गया। निबंध में कला संकाय की श्वेता कुमारी प्रथम, प्रेरणा जैन द्वितीय व गरिमा वशिष्ठ तृतीय रहीं। कविता लेखन में महिमा सत्संगी प्रथम, नम्रता सिंह द्वितीय व शिवानी गुप्ता तृतीय रहीं। कार्टून मेकिंग में मोहित सिंह प्रथम, वर्षा शर्मा द्वितीय व विदुषी चौधरी तृतीय रहीं। भाषण में हरीकांत यादव प्रथम, आदित्य द्वितीय व चारुलता सिंह तीसरे स्थान पर रहीं।