Agra Fort: किला के मीना बाजार में निकला लाखौरी ईंटों का फर्श, ब्रिटिश काल में बनाया था अस्पताल
Agra Fort आगरा किला में संरक्षण कार्य के दौरान कई तथ्य सामने आए थे। मुगलकाल में यहां शाही परिवार मीना बाजार में खरीदारी करता था। अंग्रेजों ने यहां अस्पताल का निर्माण कराया था। बाद में यहां संरक्षण हुआ।
आगरा, जागरण संवाददाता आगरा किला के मीना बाजार में संरक्षण कार्य के दौरान मुगलकालीन लाखौरी ईंटों का फर्श निकला है। यहां ब्रिटिश काल में अस्पताल बनाया गया था। तब मुख्य मार्ग को दोनों ओर से तीन-तीन मीटर संकरा करते हुए प्लेटफार्म बना दिया गया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा लाखौरी ईंटों के फर्श को मूल स्वरूप में सहेजा जाएगा।
मुगल काल में लगता था बाजार
अागरा किला में मीना बाजार है। मोती मस्जिद से दिल्ली दरवाजे की तरफ जाने वाले रास्ते के दोनों ओर कोठरियां बनी हुई हैं। कुछ के आगे सामान रखने को बनाई गई जगह भी है। मुगल काल में यहां मुगल दरबारियों के परिवारों की महिलाएं बाजार लगाया करती थीं। मीना बाजार पर्यटकों के लिए बंद रहता है। इसके तीन में से दो कांप्लेक्स को पहले ही मूल स्वरूप में संरक्षित किया जा चुका है।
ये भी पढ़ें...
इन दिनों यहां मोती मस्जिद की तरफ से जाने पर पड़ने वाले पहले कांप्लेक्स में कोठरियों के संरक्षण का काम किया जा रहा था। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों ने आगरा किला में शरण ली थी। तब मीना बाजार में अस्पताल बनाया गया था। रास्ते के कोठरियों से काफी नीचा होने की वजह से मलबा डालकर लेवल एक कर दिया गया था। मुख्य मार्ग को दोनों ओर से तीन-तीन मीटर संकरा कर दिया गया था।
ये भी पढ़ें...
Agra Weather: बर्फीली हवाओं ने बढ़ाई गलन, अलाव जले और निकले हीटर, पांच दिन ऐसा रहेगा मौसम का हाल
ब्रिटिश काल में निर्माण कार्य को हटाया
एएसआइ ने मीना बाजार को उसके मूल स्वरूप में संरक्षित करने को ब्रिटिश काल में किए गए निर्माण कार्य को हटाया। प्लेटफार्म से करीब डेढ़ फुट नीचे लाखौरी ईंटों का बना मुगलकालीन फर्श सामने आया। एक गेट से लेकर दूसरे गेट तक दोनों तरफ यह फर्श है। लाखौरी ईंटों के फर्श के किनारों पर पत्थरों का बार्डर है। कांप्लेक्स में एक तरफ मूल फर्श को निकाले जाने का काम पूरा कर लिया गया है, जबकि दूसरी तरफ काम किया जा रहा है। अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. राजकुमार पटेल ने बताया कि मीना बाजार में कोठरियों के सुदृढ़ीकरण व संरक्षण कार्य के दौरान नए अवशेष सामने आए हैं। लाखौरी ईंटों का बना खड़ंजा मिला है। इसे मूल स्वरूप में संरक्षित किया जाएगा।
लाखौरी ईंटों का होता था इस्तेमाल
लाखौरी, बादशाही या ककईया ईंटें पतली लाल रंग की पकी मिट्टी की ईंटें हैं। अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. राजकुमार पटेल ने बताया कि मुगल काल में इन ईंटों का खूब इस्तेमाल हुआ। 20वीं सदी की शुरुआत तक इनका इस्तेमाल स्मारकों के अलावा भवन निर्माण में भी किया गया। ब्रिटिश काल में बड़े आकार की घुम्मा ईंटों के प्रचलन में आने के बाद इनका प्रयोग बंद हो गया।