Chandrayaan-2:‘विक्रम’ से संपर्क टूटा, हौसला नहीं, सोशल मीडिया पर इसरो को सलाम Agra News
पीएम ने बंधाया इसरो प्रमुख को ढांढस तो देश बोला हम भी हैं साथ। शिक्षण संस्थानों में होती रही चंद्रयान-2 की चर्चा हर किसी ने चांद तक पहुंचने को भी माना बड़ी बात।
आगरा, जागरण संवाददाता। चंद्रयान-2 के चांद की सतह से दो किलोमीटर दूर संपर्क टूटने के बाद हर कोई मायूस है। मगर, हर किसी को अपने देश के वैज्ञानिकों पर नाज है। सोशल मीडिया पर हर कोई वैज्ञानिकों की मेहनत और जज्बे को सलाम कर रहा है। हर कोई एक ही बात कह रहा है कि इसरो का ‘विक्रम’ से संपर्क टूटा है, लेकिन वैज्ञानिकों का हौसला अभी बरकरार है।
शुक्रवार रात को हर कोई चंद्रमा पर चंद्रयान-2 की सफल लैंडिंग देखने को टीवी के आगे बैठा था। मगर, चंद्रमा की सतह से महज दो किमी दूर लैंडर विक्रम का इसरो से संपर्क टूटा तो हर तरफ मायूसी छा गई। इसरो चीफ सहित सभी वैज्ञानिकों के चेहरे से भी उल्लास गायब हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने इसरो चीफ के सिवन भावुक हुए तो प्रधानमंत्री ने उनका हौसला बढ़ाया। इसके बाद तो हर कोई देश के वैज्ञानिकों के समर्थन में आ गया। सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री द्वारा इसरो चीफ को गले लगाकर ढांढस बंधाने का वीडियो वायरल हो गया। यूजर ने लिखा कि प्रधानमंत्री ने पूरे देश की तरफ से वैज्ञानिकों का ढांढस बंधाया।
पाकिस्तान को किया ट्रोल
चंद्रयान-2 के पूरी तरह से सफल न रहने पर सोशल मीडिया पर पाकिस्तान ने इसका मजाक बनाने की कोशिश की तो भारतीय ने इसका करारा जवाब दिया। ट्विटर पर एक यूजर आशुतोष ने पाकिस्तान के मंत्री फवाद हुसैन की 900 करोड़ वाली प्रतिक्रिया पर जवाब दिया कि ओ, हां 900 करोड़ में पाकिस्तान कितने टमाटर खरीदता और इन्हें गिनने में तुम्हारी 900 पुस्तें गुजर जातीं। डॉ. संजय सोलंकी ने लिखा कि पाकिस्तान तुम एलओसी तक तो पहुंच नहीं पाते, क्या तुमने देखा कि चंद्रयान-2 3.84 लाख किमी तक गया। एक यूजर ने लिखा कि पाकिस्तानी अपने झंडे को उलटा कर चांद पर लैंड कर सकते हैं। पाकिस्तान के हर ट्वीट पर जवाब देने वाले यूजरों की लाइन लगी रही।
ऐसे की हौसला अफजाई
तूफानों को चीरकर वो फिर आएगा, जरा सब्र करो, चंद्रयान चांद की जमीन पर फिर जाएगा।
चांद से भले ही संपर्क टूट गया हो, लेकिन हमारे वैज्ञानिकों का हौसला अभी बरकरार है।
यह पहला प्रयास था, आखिरी नहीं.. जल्दी चंद्रयान तीन की सफल लैंडिंग होगी।
आज बना लिया है रास्ता, कल मंजिल भी मिल जाएगी, हौसलों की है ये कोशिश, ये एक दिन जरूर रंग लाएगी।
हमारे वैज्ञानिकों ने देश का नाम रोशन किया, पूरे देश को उन पर गर्व है।
चांद की सतह के नजदीक पहुंचना भी बड़ी उपलब्धि
चंद्रयान-2 के सफल होने की उम्मीद पूरे देश को थी। मगर, अंतिम समय पर कुछ ऐसा हुआ जिसकी कोई कल्पना नहीं कर रहा था। मगर, शिक्षक और छात्र चांद की सतह के इतने नजदीक पहुंचने को भी बड़ी उपलब्धि मानते हैं। उनका मानना है कि जल्द ही भारत फिर से अपने इरादों में कामयाब होकर दिखाएगा। शनिवार को कॉलेज कैंपस में केवल चंद्रयान-2 की ही चर्चा रही।
क्या कहते हैं शिक्षाविद
मिशन अंतिम चरण में पूरा न होने से मायूसी है। पर यह बड़ी उपलब्धि है। आर्बिटर एक साल चंद्रमा पर रहेगा। वहां से हमें जरूरी जानकारी मिलेगी। अगर सॉफ्ट लैंडिंग सफल हो जाती तो भारत की चांद पर मनुष्य भेजने की योजना पर भी काम शुरू हो जाता।
डॉ. रंजीत सिंह, विभागाध्यक्ष रसायन विज्ञान विभाग, डीईआइ
चंद्रयान-2 के सॉफ्ट लैंडिंग की उम्मीद पूरे देश को थी। इसरो चीफ ने पहले ही कहा था कि अंतिम 15 मिनट मुश्किल भरे होंगे, अंतिम समय पर मिशन पूरा न हो पाना सबके लिए मायूसी भरा है। हमें उम्मीद है कि हमारे वैज्ञानिक जल्द ही इस मिशन को पूरा करेंगे।
डॉ. अमित अग्रवाल, प्रवक्ता, रसायन विज्ञान, आगरा कॉलेज
चंद्रयान-2 का संपर्क टूटना विफलता का रूपक नहीं है। वह सिर्फ गुरुत्वाकर्षण तकनीक के स्वरूप में हुआ है। इसरो कभी हार न मानने वालों की संस्कृति का रूपक है। पूरे देशवासियों को वैज्ञानिकों पर भरोसा है। इसरो को अपने मिशन में जरूर सफलता मिलेगी।
अविनाश वशिष्ठ, बीवॉक, डीईआइ
चंद्रयान-2 मिशन के तहत भेजा गया लैंडर विक्रम भारत का पहला मिशन था जो पूरी तरह स्वदेशी था। अंतिम दो किमी की दूरी पर लैंडर से संपर्क टूट गया। यह कोई नाकामी नहीं है। इसरो के प्रयास जारी हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि इसरो इस मिशन को पुन: पूरा करेगा और अपना अभियान जारी रखेगा।
लवकुश गुप्ता, बीटेक, डीईआइ
चांद की सतह से दो किमी पहले इसरो का संपर्क लैंडर से टूट गया। इसके बाद भी यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। हमारे वैज्ञानिक अभी प्रयास कर रहे हैं। अगर दोबारा संपर्क स्थापित हुआ तो हमें बहुत कुछ मिलेगा। संपर्क न भी हुआ तो आगे कुछ करने का हौंसला मिलेगा। पूरा देश इसरो के साथ है।
श्रुति शर्मा, डीईआइ