टिकट की जिद पर थमा देते थे किराया सूची
आगरा: रोडवेज बसों में फर्जीवाड़ा दबंगई और शातिरपन से किया जा रहा था। बस में अगर कोई जिद करता था उसे किराया सूची पकड़ा दी जाती थी।
जासं, आगरा: रोडवेज बसों में फर्जीवाड़ा दबंगई और शातिरपन से किया जा रहा था। बस में अगर कोई यात्री टिकट की जिद करता था, तो परिचालक मशीन से किराया सूची की स्लिप निकालकर थमा देता था।
मुख्यालय पर दस्तावेजों की हुई जांच के दौरान मथुरा डिपो की चिन्हित बसों के ईटीएम का प्रिंट सलेक्टेड रूट निकाला गया, तो खेल सामने आ गया। इलेक्ट्रॉनिक टिकट मशीन (ईटीएम) में एक बटन होती है, जिससे प्रिंट सलेक्टेड रूट की पर्ची निकलती है। इससे चालक को ये पता चलता है कि किस स्थान का किराया कितना है। घोटालेबाज परिचालक सवारियों को बेटिकट ले जाते थे। कोई यात्री टिकट की जिद करता तो उसे यही पर्ची निकालकर दे देते थे।
नियम एक-दो स्लिप का, निकाली दर्जनों पर्चियां
नियमत: किराये की जानकारी के लिए परिचालक ऐसे प्रिंट एक या दो बार ही निकालते हैं। लेकिन घोटाले के लिए परिचालकों ने बस के एक फेरे में ही 89 बार प्रिंट निकाल लिया। कुछ ने एक बार में 58, 44 या 39 बार प्रिंट निकाला। बॉक्स
इनकी खत्म हुई संविदा:: मथुरा के संविदा परिचालक विनोद कुमार, भोलाशंकर, जितेंद्र सिंह, जिकेश कुमार, लोकेश कुमार, भरत सिंह। बॉक्स
कई अफसर भी नपेंगे
21 अगस्त को एसटीएफ ने 11 रोडवेजकर्मियों को गिरफ्तार टिकट फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया था। जांच में सामने आया कि गिरोह पूरी बस को कब्जे में ले लेता था। असली चालक और परिचालक उतारकर गिरोह के सदस्य चढ़ जाते थे। वही इस खेल को अंजाम देते थे। इस एवज में असली चालक-परिचालक को कमीशन मिलता था। इस मामले में कार्रवाई की तलवार कई अफसरों पर भी लटक रही है।