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आए दिन तीमारदारों से मारपीट, हर तीन महीने में बड़े बवाल

आगरा: एसएन मेडिकल कॉलेज में आए दिन मरीज और तीमारदारों से जूनियर डॉक्टरों का विवाद हो रहा है। हालात यह कि हर तीन माह में बड़े बवाल हो जाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 09:00 AM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 09:00 AM (IST)
आए दिन तीमारदारों से मारपीट, हर तीन महीने में बड़े बवाल
आए दिन तीमारदारों से मारपीट, हर तीन महीने में बड़े बवाल

आगरा: एसएन मेडिकल कॉलेज में आए दिन मरीज और तीमारदारों से जूनियर डॉक्टरों का विवाद हो रहा है। उनसे मारपीट की जा रही है। वहीं, तीन से चार महीने में बड़े बवाल हो रहे हैं। एसएन प्रशासन जूनियर डॉक्टरों पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है।

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एसएन में इमरजेंसी, वार्ड और ओपीडी में आए दिन विवाद के बाद मारपीट की जा रही है। दहशत में तीमारदार मरीज को लेकर चले जाते हैं। जूनियर डॉक्टरों का विरोध करने पर इलाज ठप करने की धमकी दी जाती है। इससे इमरजेंसी और वार्ड में मरीज और तीमारदार दहशत में इलाज कराने को मजबूर हो रहे हैं। जूनियर डॉक्टर से इलाज की गुहार लगाने पर दुत्कार कर भगा दिया जाता है। एसएन में हुए बड़े मामले

- 7 अप्रैल को राजा की मंडी में जूनियर डॉक्टरों और दुकानदारों में चश्मे को लेकर विवाद हो गया था। दुकानदारों को पीटा था, इस मामले में थाना लोहामंडी में छह जूनियर डॉक्टर और दुकानदारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है।

- 19 अप्रैल को मेडिकोलीगल के दौरान वीडियो बनाने पर जूनियर डॉक्टरों ने तीमारदारों की पिटाई लगा दी थी।

- 10 सितंबर को बाल रोग विभाग में संविदा मेल नर्स की जूनियर डॉक्टरों ने पिटाई लगा दी थी, इस मामले में दो मेडिकल छात्रों पर थाना एमएम गेट में मुकदमा दर्ज किया था।

- पिछले साल 2 अक्टूबर को फौजी से विवाद के बाद मामला गरमा गया। भारी संख्या में सेना के जवान इमरजेंसी पहुंच गए। बवाल की आशंका पर पुलिस अधिकारी भी फोर्स के साथ पहुंचे। कई घंटे बाद इमरजेंसी मेडिकल ऑफीसर (ईएमओ) का मेडिकल कराने और उसके खिलाफ तहरीर लेने के बाद मामला शांत हुआ। इसलिए हो रहा विवाद और मारपीट

जूनियर डॉक्टर प्रथम वर्ष सबसे ज्यादा काम करते हैं, ये 24 घंटे तक सो नहीं पाते हैं, इसलिए तीमारदारों के सवाल पर भिड़ जाते हैं। द्वितीय और तृतीय वर्ष के जूनियर डॉक्टर इलाज की खानापूर्ति कर रहे हैं। अधिकांश विभागाध्यक्ष सहित डॉक्टर कुछ ही समय एसएन में रहते हैं, सारा काम जूनियर डॉक्टर करते हैं। जूनियर डॉक्टर और मेडिकल छात्रों की संख्या 900 के करीब है, इसमें से अधिकांश हॉस्टल में रहते हैं। विवाद होने पर इलाज ठप कर देते हैं।


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