ताज में नमाज के लिए कमिश्नर से करेंगे मुलाकात, देंगे ज्ञापन
-मस्जिद ताजमहल इंतजामियां कमेटी ने की गुरुवार को बैठक -ताज में नमाज पढ़ने के बाद बुधवार को चस्पा किया था गजट
आगरा: ताजमहल में नमाज अदा करने का मुद्दा गर्माया हुआ है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) शुक्रवार को ही नमाज की अनुमति होने की बात कर रहा है। मुस्लिम संगठन विरोध कर रहे हैं। ¨हदूवादी संगठन भी इस विवाद में कूद आए हैं।
ताजमहल में तीन नवंबर को वुजू के लिए बने टैंक पर रेलिंग कर गेट लगा दिया था। मस्जिद ताजमहल इंतजामियां कमेटी ने इस पर सवाल खड़े किए थे। कुछ लोगों ने मंगलवार को ताज में टिकट लेकर प्रवेश कर नमाज पढ़ी थी। बुधवार को एएसआइ ने ताज की टिकट विंडो पर वर्ष 2008 का एक गजट चस्पा किया था। ताज रात्रि दर्शन से संबंधित गजट में शुक्रवार को ताज के दोपहर 12 से दो बजे तक नमाजियों के लिए खोलने का जिक्र है। एएसआइ का कहना है कि ताज में शुक्रवार को ही नमाज की परंपरा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी केवल स्थानीय नमाजियों के लिए आदेश किया है। मामले को लेकर मस्जिद ताजमहल इंतजामियां कमेटी की बैठक पुरानी मंडी स्थित दावत होटल में हुई। इसमें नमाज से जुड़े मामले को कमिश्नर से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपने पर सहमति बनी। बैठक में समी आगाई, अहमद हसन, असलम कुरैशी, सगीर अहमद, इरफान सलीम, मुन्नवर अली, इब्राहीम जैदी, हाजी युसूफ आदि मौजूद रहे। राष्ट्रीय बजरंग दल ने अलापा आरती राग
राष्ट्रीय बजरंग दल भी इस विवाद में कूद गया है। दल के विभाग संयोजक गोविंद पाराशर ने कहा कि तेजोमहालय की आरती उतारने की बात कहने वालों को जेल भेज दिया गया था। ताज में नमाज नहीं रोकी गई तो हम भी आरती करेंगे। तो मुख्यालय से होगी स्थिति स्पष्ट
सूत्रों की मानें तो विवाद बढ़ता देख एएसआइ अधिकारी भी बैकफुट पर हैं। वो 2001 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन की बात कर रहे हैं। अन्य दिनों में नमाज की स्थिति स्पष्ट करने को दिल्ली मुख्यालय के निर्देशों का इंतजार है। इसलिए भी उठ रहे सवाल
-प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 में स्पष्ट है कि स्मारक में कोई नई परंपरा शुरू नहीं होगी।
-ताज पर चस्पा किए गजट में अन्य दिनों में नमाज पर स्थिति स्पष्ट नहीं है।
-ताज में नमाज को 15 रुपये मासिक पर एएसआइ ने इमाम तैनात कर रखा है।
-मस्जिद, मजार व मकबरों को लिविंग व नॉन लिविंग कैटेगरी में रखा गया था। आगरा किला में स्थित मोती मस्जिद, मीना मस्जिद और नगीना मस्जिद नॉन लिविंग कैटेगरी में हैं। इसीलिए वहां नमाज नहीं होती। ताजमहल स्थित फतेहपुरी मस्जिद, काली मस्जिद और फतेहपुर सीकरी स्थित शेख सलीम चिश्ती की दरगाह, जामा मस्जिद लिविंग कैटेगरी में हैं। इसीलिए वहां नमाज होती हैं।