जेवर में चकबंदी को जनहित याचिका
आगरा: जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए चिह्नित जमीन की चकबंदी कराने की मांग की गई है
जागरण संवाददाता, आगरा: जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए चिह्नित जमीन की चकबंदी कराने की मांग की गई है, जिससे जमीन का मुआवजा सही लोगों व पात्रों को मिल सके। ये जनहित याचिका सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने दायर की है। जमीन अधिग्रहण से प्रभावित होने वाले भूमिहीन किसानों और भूमि का प्रतिकर पाने वालों के लिए पुनर्वास योजना सार्वजनिक करने की मांग भी की गई है।
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के महासचिव अनिल शर्मा की ओर से अधिवक्ता अकलंक कुमार जैन ने जनहित याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की है। इस पर जुलाई के पहले सप्ताह में मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले की बेंच में सुनवाई होगी। सोमवार को होटल केएस रॉयल में प्रेसवार्ता में अनिल शर्मा ने बताया कि जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण को सरकार सभी नियम-कानून दरकिनार कर रही है। बिना जमीन और पर्यावरण स्वीकृति के प्रोजेक्ट में निवेश करने के लिए आकर्षित करने की प्रक्रिया चल रही है। किसानों की जमीन छीनने के प्रयास का सोसायटी ने विरोध किया है। जेवर में चकबंदी नहीं हुई है। खेती की जमीन के रिकॉर्ड अपडेट नहीं होने से जोत सीमा (12 एकड़) से अधिक के भूमि मालिक सरकारी मुआवजा पाने को लाइन में लगे हैं। वहीं, जमीन का वाजिब हक रखने वाले बहुत से लोगों को रिकॉर्ड अपडेट नहीं होने की वजह से मुआवजा नहीं मिल सकेगा। राजीव सक्सेना ने बताया कि चकबंदी रिकॉर्ड अपडेट नहीं होने से खेती की जमीन का भू-उपयोग गैर-कानूनी तरीके से बदलवाने का प्रयास किया जा रहा है। जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का प्लान ही बनता बिगड़ता रहा है। जेवर नेशनल कैपिटल जोन प्लान में लंबे समय से है, वहां के लिए रीजनल प्लानिंग भी है।
सोसायटी अध्यक्ष शिरोमणि सिंह ने बताया कि हमने जमीन का रकबा खत्म हो जाने के बाद भूमिहीन किसानों की रोजी-रोटी व आवासीय व्यवस्था, सरकार के चकबंदी करने से बचने के मुद्दे को उठाया है। सरकार की अदूरदर्शिता से अगर जेवर से किसानों को कहीं और जाना पड़ा तो आगरा भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होगा।
इन्हें जारी हुए नोटिस
प्रमुख सचिव राजस्व, चेयरमैन बोर्ड ऑफ रेवेन्यू, मेरठ के कमिश्नर व डीएम, जेवर के एसडीएम व तहसीलदार, यमुना एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी, डायरेक्टर ऑफ डायरेक्टरेट ऑफ कंसोलिडेशन को नोटिस भेजे गए हैं।