सूर्य उपासना का महापर्व आज से, घाटों पर अभी तक नहीं हुए इंतजाम
-छठ पर्व में पहले दिन नहाय खाय और दूसरे दिन होगा खरना, 36 घंटे का निर्जला व्रत रखेंगे -13 को डूबते सूर्य और 14 को उगते सूर्य को देंगे अर्घ्य, घाटों पर रहेगा मेले जैसे नजारा
आगरा: सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा रविवार से शुरू हो रहा है। पूर्वाचल समाज के लोगों द्वारा मनाए जाने वाले पर्व में पहले दिन नहाय खाय और दूसरे दिन खरना होगा। 13 को डूबते सूर्य और 14 को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर आराधना की जाएगी। 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाएगा। घाटों पर मेले लगेंगे। इसके लिए घरों में तैयारियां शुरू हो गई हैं।
बिहार व पूर्वाचल में छठ पूजा धूमधाम से होती है। आगरा में बसे पूर्वाचल समाज के लोग यहां भी उत्साह और उल्लास के साथ यह पर्व मनाते हैं। पूर्वाचल सांस्कृतिक सेवा समिति के मुख्य संरक्षक अशोक चौबे बताते हैं कि रविवार को नहाय खाय से छठ पूजा की शुरुआत होगी। व्रती महिलाएं नहाकर शुद्ध शाकाहारी भोजन बनाएंगी। शाम को चावल और गुड़ की खीर और पूड़ी से व्रत खोला जाएगा। दूसरे दिन खरना होगा। इसमें दिन भर व्रत रखेंगे और शाम को लौकी की सब्जी और चावल से व्रत खोला जाएगा। व्रती के भोजन करते समय ध्यान रखा जाता है कि किसी तरह की आवाज न हो। दूसरे दिन व्रत खोलने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा। तीसरे दिन शाम को घाटों पर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारायण होगा। समिति ने देखी सफाई की व्यवस्था
यमुना के घाटों पर सफाई की व्यवस्था में पूर्वाचल सांस्कृतिक सेवा समिति से जुड़े लोग पिछले तीन दिनों से जुटे हुए हैं। समिति के कोषाध्यक्ष ओमप्रकाश गुप्ता ने बताया कि घाटों पर स्वयं सफाई की है। बल्केश्वर, दशहरा घाट साफ हो चुके हैं। हाथीघाट पर अभी काफी गंदगी है। शनिवार को बल्केश्वर घाट पर नगर निगम व सकारात्मक सोच एक बदलाव की टीम के सदस्यों ने सफाई की। घाट से गंदगी, कीचड़ व मिट्टी को हटाया गया। पार्षद अमित ग्वाला, नागेंद्र अग्रवाल, कृष्ण कुमार, चंद्रेश अग्रवाल, गिर्राज बंसल, चंद्रभान सिकरवार, ऋषि अग्रवाल मौजूद रहे।
घाटों पर होगा दीपोत्सव
यमुना के घाटों पर दीपोत्सव 13 की शाम को होगा। बल्केश्वर घाट पर मेले जैसा नजारा रहेगा। 14 की सुबह भी दीपों से आरती की जाएगी। यहां बल्केश्वर, रामबाग, कैलाश, हाथीघाट, दशहरा घाट और पोइया घाट पर छठ पूजा की जाती है। इसमें पूर्वाचल समाज के 40 से 50 हजार लोग शामिल होते हैं। चूल्हे पर बनेगा भोजन
व्रती अपना भोजन और प्रसाद चूल्हे पर बनाते हैं। इसके लिए घरों में चूल्हे बनाए जाएंगे। व्रती गेहूं धोकर, सुखाकर स्वयं चक्की पर पीसेंगे। मुख्य प्रसाद में ठेकुआ (गेहूं के आटे और गुड़ से बनने वाला) बनेगा। प्रसाद में सभी फल और सब्जियां काशीफल, गाजर, मूली, लौकी आदि चढ़ाई जाएंगी।