अपने ही गढ़ में बसपा बेबस, हाथी की चाल पड़ी धीमी
लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में मचा घमासान पार्टी छोड़कर जा रहे नेता और पूर्व विधायक बने परेशानी
आगरा, संदीप शर्मा। एकसाथ छह विधान सभा सीट और फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट पर नीला परचम फहरा चुकी बहुजन समाज पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव में संभल नहीं पा रही। पार्टी के नेता और पूर्व विधायक एक-एक कर बसपा छोड़कर कांग्रेस और भाजपा का दामन थाम रहे हैं। ऐसे में गठबंधन के सहारे सत्ता वापसी की जमीन तलाश रही बसपा अपने सबसे मजबूत किले में ही संघर्ष करती नजर आ रही है।
अनुसूचित जाति की राजधानी कहे जाने वाले आगरा में बसपा के कोर वोट की संख्या करीब सवा छह लाख के पास है। अपने खालिस वोटबैंक के दम पर बसपा ने 2007 में नौ में छह आठ सीटों पर नीला परचम भी फहरा चुकी है। सिर्फ पूर्वी से भाजपा के जगन प्रसाद गर्ग, फतेहाबाद से भाजपा के डॉ. राजेंद्र सिंह और दयालबाग सीट से जनमोर्चा के डॉ. धर्मपाल सिंह जीते थे। डॉ. धर्मपाल सिंह बाद में बसपा में ही शामिल हो गए थे। 2012 में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की रौ में भी पार्टी ने अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराई। नौ में छह सीटें जीती, जबकि उत्तरी से भाजपा के जगन प्रसाद गर्ग और दक्षिणी से योगेंद्र उपाध्याय जबकि बाह सीट से सपा के अरिदमन सिंह ने जीत दर्ज की थी। हालांकि लोकसभा चुनाव 2014 और विधान सभा चुनाव 2017 पार्टी के लिहाज से बेहद खराब रहा और बसपा एक भी सीट नहीं जीत पाई। इसके बाद से पार्टी अब तक संभल नहीं पाई। अब स्थिति यह है कि 2019 में बगावत कर दूसरी पार्टियों का दामन थामने वाले इसके नेताओं ने बसपा को भी हैरान कर दिया है।
कुछ ने छोड़ी, कुछ निकाले
चुनाव से पहले पार्टी की सफाई के नाम से टिकट की दौड़ में लगे कई नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। जबकि दोनों सीटों पर बाहरी लोगों को टिकट देने से पार्टी में असंतोष की स्थिति थी। गठबंधन को लेकर भी पार्टी का वोटर असमंजस में है। अब कुछ पूर्व विधायकों और नेताओं ने कांग्रेस और भाजपा का दामन थाम लिया। ऐसे में पार्टी की स्थिति पर कोई भी खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
अकेले दम पर भरा कोठी मीना बाजार मैदान
कोठी मीना बाजार को अपने दम पर सिर्फ दो बार भरा गया है। मायावती अपने कोर वोट बैंक के सहारे यह कारनामा कई बार दोहरा चुकी हैं। जबकि पीएम मोदी ने दो बार। लेकिन इस बार पार्टी की स्थिति देखकर वोटर भी असमंजस की स्थिति में है।
यह है वोटों का संभावित गणित सीकरी में (15 लाख वोटर)
- 2.75 लाख जाटव
- सवा लाख बघेल
- तीन लाख ठाकुर
- ढाई लाख जाट
- पौने दो लाख ब्राह्मण
- 1.5 लाख लोधी-निषाद
- 1.5 लाख कुशवाहा
- 80 हजार यादव
- 70 हजार मुस्लिम
- शेष अन्य आगरा सुरक्षित में (19 लाख वोटर)
- 3.5 लाख वैश्य
- 3.5 लाख जाटव
- 1.6 लाख बघेल
- 1.5 लाख यादव
- एक लाख ठाकुर
- सवा लाख ब्राह्मण
- 80 हजार सिंधी-पंजाबी
- 2.5 लाख मुस्लिम
- 70 हजार माहौर
- 80 हजार वाल्मीकि
- 70 हजार जाट
- 70-80 हजार कुशवाहा
- 50 हजार लोधी-निषाद
- शेष अन्य।