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बंदी का खौफ दिखाकर डराने की न करें कोशिश

आगरा: शहर में बढ़ते प्रदूषण का सारा ठीकरा उद्योगों के सिर फोड़ा जा रहा है। इससे उद्योग जगत खफा है। उद्यमियों का कहना है कि उद्योग से प्रदूषण नहीं बढ़ रहा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Jul 2018 11:12 PM (IST)Updated: Wed, 18 Jul 2018 11:12 PM (IST)
बंदी का खौफ दिखाकर डराने की न करें कोशिश
बंदी का खौफ दिखाकर डराने की न करें कोशिश

जागरण संवाददाता, आगरा: शहर में बढ़ते प्रदूषण का सारा ठीकरा उद्योगों के सिर फोड़ा जा रहा है। इससे उद्यमियों में आक्रोश है। उनका कहना है कि ताज को नुकसान इंडस्ट्रीयल प्रदूषण से नहीं, बल्कि निर्माण कार्य से होने वाले प्रदूषण से है। अधिकारी अपनी गलतियां उद्योगों पर डालकर बचना चाहते हैं।

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एफमेक अध्यक्ष पूरन डावर ने बताया कि पहले शहर में ईंट भंट्टा, फाउंड्री, जेनरेटर उद्योग, पर्यटन और जूता उद्योग काफी संपन्न था। नौकरियों की कोई कमी नहीं थीं। लेकिन 1996 के बाद से हालात बदलना शुरू हो गए। एक के बाद एक उद्योग पलायन कर गए। जूता और पर्यटन बमुश्किल खुद को बचाए हैं, लेकिन अब उस पर भी संकट है। जबकि ताज को खतरा इंडस्ट्रीयल प्रदूषण से नहीं बल्कि निर्माण कार्य के दौरान उड़ने वाले धूल के कणों व अन्य प्रदूषण से हो रहा है। यमुना से उड़ती रेत भी ताज को नुकसान पहुंचा रही है। यदि यही हालात रहा, तो मकबरों के नाम से मशहूर शहर में सिर्फ मकबरे ही रह जाएंगे।

ताज के पास नहीं कोई उद्योग, फिर कैसे बढ़ा प्रदूषण

चैंबर अध्यक्ष राजीव तिवारी ने बताया कि टीटीजेड के बाद प्रशासन ने करीब 270 इकाइयों को कोयला भंट्टी से गैस पर शिफ्ट होने या बंदी के आदेश दिए थे। ज्यादातर इकाइयों ने मानकों के अनुसार गैस कनेक्शन लेकर सुधार लिया। होटलों में एसटीपी की व्यवस्था है, ऐसे में प्रदूषण कैसे बढ़ा, अधिकारियों पर इसका कोई जवाब नहीं है।

शहर से निकलने वाले ट्रेफिक पर लगे रोक

नेशनल चैंबर पूर्व अध्यक्ष अतुल गुप्ता ने बताया कि उद्योग प्रदूषण नहीं फैला रहे। बैराज की मांग हो रही है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा। इससे यमुना की रेत ताज को नुकसान पहुंचा रही है। प्रदूषण के कारण और भी हैं। उत्तरी बाईपास की मांग अब तक पूरी नहीं हुई और पूरा ट्रेफिक शहर के अंदर से गुजर रहा है। हरियाली के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हुई। प्रशासन उद्योग बंदी का डर न दिखाए, क्योंकि हम सुप्रीम कोर्ट के निर्देशन में ही काम कर रहे हैं।

आगरा का हक मार रहा फीरोजाबाद

नेशनल चैंबर पूर्व अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि आगरा से फीरोजाबाद को अब अलग कर देना चाहिए क्योंकि यहां का लाभ वहां के उद्योग उठा रहे हैं। आगरा को मिलने वाली 15 लाख घन मीटर सब्सिडी वाली एपीएम गैस में से 14 लाख फीरोजाबाद को दी जा रही है। महज एक लाख सब्सिडी आगरा को मिलती है। शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने पर कोई ध्यान नहीं। कुछ उद्योग रह गए हैं, उन्हें भी बंद करने से शहर भुतहा हो जाएगा और अपराध बढ़ेंगे।


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