सरकार के एजेंडे से जाग रही उद्यमियों में उम्मीद लेकिन फिर क्यों छाए हैं संशय के बादल
उद्योगों में छूट दिलाने के लिए अधिकारियों में बन रही एक राय। दिल्ली में मुख्य सचिव और कैबिनेट सचिव के बीच बैठक के आसार।
आगरा [जागरण संवाददाता]:विजन डॉक्यूमेंट में वर्गीकरण के बाद उद्योंगों पर छाए संकट के बादल कहीं लोकसभा चुनाव में खतरे की घंटी न बजा दे। प्रदेश सरकार इसको लेकर सतर्क दिख रही है। शनिवार को लखनऊ में मुख्य सचिव की बुलाई बैठक में दिखाई दिया। बैठक से निकला प्रदूषण घटे और उद्योग भी बचें का एजेंडा उद्यमियों में आशा की किरण जगाने का प्रयास ही है। शासन स्तर पर भी अधिकारियों के बीच उद्योगों में छूट दिलाने के लिए एकराय बनती दिख रही है। जल्द ही मुख्य सचिव व कैबिनेट सचिव के बीच बैठक होने के आसार बन रहे हैं। इसमें उद्योगों में छूट दिलाने के लिए कोर्ट में पैरवी की ठोस रोडमैप तैयार हो सकता है।
एसपीए तैयार कर रहा विजन डॉक्यूमेंट
टीटीजेड अथॅारिटी ने विजन डॉक्यूमेंट बनाने की जिम्मेदारी स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर(एसपीए) को दी है। 15 नवंबर तक एसपीए को डॉक्यूमेंट सुप्रीम कोर्ट में पेश करना है, इसपर 29 नवंबर को सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख और टीटीजेड में उद्योगों पर रोक होने से प्रदेश सरकार पर दो तरफा दबाव बना हुआ है।
उद्योगों की चुनौतियां
उद्योगों के लिए विजन डॉक्यूमेंट का ड्राफ्ट सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है। टीटीजेड क्षेत्र के उद्योगों को विजन डॉक्यूमेंट में व्हाइट, ग्र्रीन, ऑरेंज और रेड कैटेगरी में शामिल किया गया है। इनमें व्हाइट कैटेगरी को छोड़ अन्य को टीटीजेड क्षेत्र से विस्थापित किए जाने का प्रस्ताव किया गया है। इससे शहर के सभी प्रमुख उद्योग प्रभावित हो रहे हैं। पर्यावरण मंत्रालय द्वारा सितंबर 2016 में तदर्थ रोक लगाई गई। इससे शहर में नए उद्योगों को लगाने और पुराने के विस्तार पर रोक लगा दी गई। इन फैसलों से पूरे टीटीजेड क्षेत्र के उद्योग प्रभावित हो रहे हैं। नए उद्योगों के न लग पाने से शहर में विकास और रोजगार के साधन खत्म हो रहे हैं। फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है।
अस्थाई है टीटीजेड प्राधिकरण
केंद्र सरकार ने 17 मई 1999 को ताज ट्रेपेजियम जोन प्राधिकरण की स्थापना की। इस प्राधिकरण का गठन अस्थाई तौर पर किया गया। वर्तमान में प्राधिकरण का कार्यकाल 31 दिसंबर 2018 तक है। अस्थाई प्राधिकरण होने के कारण इसकी योजनाओं को अन्य प्राधिकरण की तरह मूर्त रूप नहीं दिया जा सका। जनवरी 2017 में प्राधिकरण के सदस्यों में सिविल सोसायटी से तीन लोगों को शामिल किए जाने के निर्देश दिए गए थे। डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी सदस्यों की नियुक्ति नहीं की जा सकी है।