Advocate Kidnapping Case: एक वक्त खाना और पांच वक्त नमाज, पढ़कर आपबीती डबडबा जाएंगी आंखें Agra News
अपहरण के बाद इबादत में गुजरे अपहृत अकरम के 11 दिन और रात।
आगरा, जागरण संवाददता। बंद कोठरी में फैला अंधेरा। मुख्य बदमाश के आने से पहले आंखों पर पट्टी, बात- बात पर जान लेने की धमकी और बस पैसे की बात। अगवा होने के बाद चार दिन अकरम ने जो झेला, उसे याद कर वह कांप जाते हैैं। अकरम ने जिंदगी से लेकर अपनी रिहाई तक का जिम्मा खुदा पर छोड़ इबादत में ही 11 दिन बिताए। रमजान की तरह रोजा रखा और पांच वक्त की नमाज पढ़ी। रिहाई के बाद थाने में आपबीती बताई तो सुनने वाले भी भावुक हो गए।
फीरोजाबाद के राजपूताना मुहल्ला निवासी अधिवक्ता अकरम अंसारी का तीन फरवरी को आगरा से अपहरण कर लिया गया था। बदमाश आंखों पर पट्टी बांधकर उन्हें रात 11 बजे धौलपुर के बाड़ी कस्बे पहुंचे। यहां एक घर में उनके हाथ-पैर बांध कर अंधेरे कमरे में बंद कर दिया। यहां उन्हें रात दिन का पता ही नहीं चलता। इसी तरह तीन दिन कट गए। बदमाश बीच-बीच में आकर उन्हें धमका जाते। रात में सोने के लिए एक चटाई और हल्की रजाई दी। पहले दिन ही सर्दी लगने से तबीयत बिगड़ गई। डॉक्टर को दिखाने के लिए कहा तो किसी ने नहीं सुना। बदमाश सुबह और शाम खाना दे जाते मगर, वह अकरम के गले से नहीं उतरता। तीन दिन के बाद अकरम ने सब कुछ खुदा पर छोड़ दिया। पांच वक्त की नमाज पढऩा शुरू किया। शाम को पानी पीकर वे व्रत खोलते थे। इसके बाद जीने को केवल दो रोटी खाते। बदमाश उन्हें और रोटी देते तो वह नहीं लेते थे।
सोमवार शाम को वह नमाज पढ़कर बैठे ही थे, जब पुलिस टीम ने कमरे में प्रवेश किया। मुक्त होने के बाद अकरम का कहना था कि वे हर वक्त यही सोचते थे कि जीवन में उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है तो खुदा उन्हें जरूर मुक्त करा लेगा।
नहाने नहीं दिया
अकरम अपहरण के समय कोट और पेंट पहने हुए थे। उन्हें बदमाशों ने कहने पर भी नहाने नहीं दिया। नमाज से पहले कुछ दिन तो उन्होंने पानी से वजू की। पानी न मिलने पर वे सांकेतिक रूप से ही वजू करके नमाज पढ़ लेते थे। मुक्त होने के समय भी वे कोट पेंट ही पहने थे।
पहरेदारी पर रहते थे बदमाश
अपहरण करने वाले मुख्य बदमाश उन्हें वहां छोड़कर चले गए थे। उनकी पहरेदारी को दो युवक रहते थे। अपहरण करने वाले बदमाश कभी-कभी उनके पास आते थे। अकरम केवल सभी को आवाज से ही जानते थे। वह कभी किसी के चेहरे नहीं देख पाए थे। वे जब भी सामने आते थे। अकरम की आंखों पर पट्टी बंधी रहती थी।
खाने में पूछते थे इच्छा
बदमाशों ने अकरम से उनकी प्रॉपर्टी के बारे में पूछा था। इसके बाद उनसे कहा कि वे किसी वीरेंद्र का अपहरण करने गए थे। धोखे से तुम्हे ले आए। जानकारी करके छोड़ देंगे। मगर, वे उन्हें गुमराह कर रहे थे। एक भी दिन बदमाशों ने अकरम से मारपीट नहीं की। खाने में अधिकतर आलू-मटर की सब्जी देते थे। कभी-कभी सब्जी के लिए उनकी फरमाइश भी पूछते थे। अकरम के कहने पर उन्होंने दाल भी बनवाई।