हवा चली, 36 दिन बाद कम हुआ प्रदूषण, मिली राहत
बुधवार की बूंदाबांदी और उसके बाद चली हवा ने प्रदूषण को कुछ हद तक थामने का काम किया हैशुक्रवार को मौसम साफ रहा और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) भी 36 दिन बाद 300 से नीचे पहुंचा
आगरा, जागरण संवाददाता। बुधवार की बूंदाबांदी और उसके बाद चली हवा ने प्रदूषण को कुछ हद तक थामने का काम किया है। शुक्रवार को मौसम साफ रहा और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) भी 36 दिन बाद 300 से नीचे पहुंचा। हवा में सूक्ष्म कणों (पीएम 2.5) का स्तर भी काफी कम रहने से राहत मिली।
दिवाली के बाद ताजनगरी में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा हुआ था। । 7 नवंबर के बाद से दो बार आगरा देश में सबसे प्रदूषित शहर में शुमार हो चुका है। जबकि बाकी के दिनों में टॉप टेप और टॉप फाइव में शामिल रहा। हवा में सूक्ष्म कणों की अधिकता के साथ पीएम 2.5 का स्तर भी काफी बढ़ा हुआ था। कोहरे और बादल छाने से ये स्थिति और खराब हो गई। ऐसे में सांस लेने में भी दिक्कत महसूस की गई। बुधवार सुबह बूंदाबांदी के बाद प्रदूषण के स्तर में कुछ सुधार हुआ, लेकिन स्थिति खतरनाक ही बनी रही। गुरुवार को एक्यूआइ 340 रिकॉर्ड किया था। जबकि सामान्य एक्यूआइ का स्तर 50 है। शुक्रवार को सुबह मौसम साफ रहा और धूप खिली। बुधवार को हुई बूंदाबांदी से हवा में सूक्ष्म कणों की कमी आई तो शुक्रवार को हवा चलने से सूक्ष्म कण हवा के साथ उड़ गए। ऐसे में एक्यूआइ का स्तर कम हो गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी सूचना के अनुसार शुक्रवार को एक्यूआइ 293 रिकॉर्ड किया गया। दिवाली के बाद 36 दिन बाद पहली बार ऐसा रहा। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहायक वैज्ञानिक विश्वनाथ शर्मा का कहना है कि काफी समय से एक्यूआइ का स्तर बढ़ा था। शुक्रवार को मौसम साफ रहने से स्तर कम हुआ है।
नौ दिसंबर को सबसे ज्यादा एक्यूआइ
नौ दिसंबर को ताजनगरी में सबसे ज्यादा एक्यूआइ 419 दर्ज किया गया। जो बीते डेढ़ माह में सबसे अधिक था। पर्यावरणविद् उमेश शर्मा का कहना है कि हवा चलने से राहत मिली है। बूंदाबांदी का भी असर रहा। मौसम बिगड़ा तो फिर से हालात खराब होंगे। बढ़ी एलर्जी, छींक और खासी से परेशान : वायु प्रदूषण से जहरीली हुई हवा ने सांस संबंधी बीमारियां कई गुना बढ़ा दी हैं। इससे एलर्जी के मरीज बढ़ रहे हैं, लोग छींक और खांसी से परेशान हैं। साथ ही स्किन एलर्जी के केस भी बढ़ रहे हैं। एक्यूआइ 300 के आसपास रहने और पर्टिकुलेट मैटर 2.5 ( पीएम, सूक्ष्म कण) ज्यादा रहने के कारण मुश्किल बढ़ी है। एसएन के टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट के डॉ. जीवी सिंह ने बताया कि पीएम 2.5 बहुत सूक्ष्म कण होते हैं, यह खून में पहुंचने के बाद हृदय के साथ अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। वहीं, सूक्ष्म कणों की एलर्जी से छींक और खांसी की समस्या लगातार बढ़ रही है। इस तरह के मरीज दवाओं से भी ठीक नहीं हो रहे हैं। ओपीडी में आने वाले 30 फीसद मरीज एलर्जी के हैं। यही नहीं प्रदूषण के कारण स्किन एलर्जी के केस भी बढ़े हैं। एसएन के चर्म रोग विभागाध्यक्ष डॉ. यतेंद्र चाहर ने बताया कि प्रदूषण के कारण स्किन एलर्जी के मामले बढ़ रहे हैं।