भर्ती मरीज की भी लगा दी चुनाव में ड्यूटी, प्रशासन की मनमानी
सांस की बीमारी के कारण दो महीने भर्ती है लेखपाल ड्यूटी कटवाने को भटकती रही महिलाएं
जागरण संवाददाता, आगरा: बुधवार सुबह सात बजे से मंडी समिति में मतदान कार्मिक जुटने लगे। सूरज चढ़ता गया और भीड़ बढ़ती गई। कहीं उत्साह दिखा, तो कहीं चिंता। एक तरफ आंसू से झलकती आंखे प्रशासनिक अधिकारियों का इंतजार कर रही थी, तो दूसरी तरफ चुनाव में ड्यूटी को लोकतंत्र के महापर्व में लगी ड्यूटी का आनंद लेने की खुशी। धीरे-धीरे अधिकारी पहुंचते गए। चुनावी ड्यूटी से मुक्त होने की आस जागने लगी, लेकिन कुछेक की ये आस निराश में भी बदल गई। महिला व पुरुषों के बहाने फेल हो गए। अस्पताल में भर्ती मरीज भी ड्यूटी कटवाने पहुंच गए। एक हाथ में चुनावी सामग्री का थैला था। तो दूसरे हाथ में ड्रिप लगी थी। तीमारदार पंखा से हवा कर रहे थे। झलकती आंखों से ड्यूटी मुक्त करने की गुहार लगा रही थीं। पति-पत्नी की लगी ड्यूटी कौन रखेगा बच्चा
सोनू और उसकी पत्नी शिल्पी की ड्यूटी चुनाव में लगी। शिल्पी आठ माह के बच्चे के कारण ड्यूटी मुक्त कराने के लिए अधिकारियों के पास चक्कर लगाते रहे पर सफलता नहीं मिली। बच्चे के लेकर गिड़गिड़ाती महिलाएं
चुनाव में लगी ड्यूटी को कटवाने के लिए महिलाएं बच्चों को गोद में लेकर परेशान दिखीं। गोद में रोते बच्चों को लेकर महिलाएं डीएम और सीडीओ के सामने रो रहीं थीं।
केस-1
कालिंदी विहार निवासी ईश्वर लाल को अस्थमा के मरीज हैं। दो महीना से एक निजी अस्पताल में भर्ती थे। प्रशासन ने इनकी ड्यूटी उत्तरी विधानसभा क्षेत्र में लगा दी। ड्यूटी मुक्त होने की गुहार लगाई, तो एफआइआइ दर्ज कराने की बात कहते हुए वापस कर दिया। बुधवार को ईश्वर अस्पताल से डिस्चार्ज होकर मंडी समिति पहुंचे, लेकिन वहां पर भी उनकी तबीयत खराब होने लगी। ड्यूटी कटवाने को सीडीओ का इंतजार करते रहे और उनके साथ तीमारदार प्रमोद पंखा से हवा करता रहा। तबीयत ज्यादा खराब होने पर वे एंबुलेंस में वापस अस्पताल के लिए रवाना हो गए। केस-2
सुबह साढ़े दस बजे चुनाव में लगी ड्यूटी कटवाने के लिए परमेश पहुंचे। उन्हें वहीं पर ही मिर्गी पड़ने लगीं। आसपास के लोगों ने मुंह पर पानी भी मारा, लेकिन कोई आराम नहीं हुआ। बाद में उसे एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया। परमेश का कहना था, पूर्व में ड्यूटी कटवाने के गुहार लगाई गई थी, लेकिन अधिकारियों ने अनसुना कर दिया। केस-3
कमला नगर निवासी गीता की बेटी का गुरुवार को रिसेप्शन हैं। पति न होने के कारण सारी जिम्मेदारी उनके ऊपर ही है। दो घंटे सीडीओ के पास चुनावी ड्यूटी मुक्त करने की गुहार लगाने के बाद निराशा ही हाथ ली। वो वहीं पर खड़े होकर रोने लगीं। अधिकारियों ने उसे एफआइआर दर्ज कराने की बात कहकर वापस कर दिया।