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पीना, नहाना छोड़िए, शोधन के लायक भी नहीं ताजनगरी में यमुना मैया का जल Agra News

लगातार अनदेखी लापरवाही और भ्रष्टाचार की शिकार हुई नदी। कई गुना ज्यादा है टोटल कॉलिफार्म।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 02:36 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 02:36 PM (IST)
पीना, नहाना छोड़िए, शोधन के लायक भी नहीं ताजनगरी में यमुना मैया का जल Agra News
पीना, नहाना छोड़िए, शोधन के लायक भी नहीं ताजनगरी में यमुना मैया का जल Agra News

आगरा, निर्लोष कुमार। लगातार अनदेखी, लापरवाही और भ्रष्टाचार ने यमुना के पानी को शोधन के लायक भी नहीं छोड़ा। पीना और नहाना तो दूर की बात है, यमुना जल पूरी तरह नाले के पानी जैसा हो गया है। यमुना में गंदगी तो मथुरा की तरफ से ही आ रही है, लेकिन शहर में आने के बाद यह गंदगी दोगुनी तक हो जाती है। यह हम नहीं कह रहे, सरकारी रिपोर्ट इसकी गवाह है।

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यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए 1993 में शुरु किया गया यमुना एक्शन प्लान हजारों करोड़ खर्च के बाद भी बेकार नजर आता है। ताजनगरी में अभी तक कागजों में ही सभी नाले टेप नहीं हो पाए हैं। जिन नालों के मुहाने पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लग चुका है वहां भी भ्रष्टाचार की दीमक से अक्सर गंदा पानी सीधे नदी में चला जाता है। अफसरों की अनदेखी और लापरवाही का ही नतीजा है कि अथक प्रयासों के बाद भी गंदगी को जस का तस भी नहीं रोका जा पा रहा है।

जनवरी 2019 से नवंबर 2019 तक एकत्रित सैंपल की रिपोर्ट की बात करें तो उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) की रिपोर्ट में यमुना की चिंताजनक दशा उजागर हुई। जनवरी से नवंबर तक यमुना जल के नमूनों पर आधारित रिपोर्ट के अनुसार, यमुना में अपस्ट्रीम व डाउनस्ट्रीम में कहीं भी यमुना जल मानक के अनुरूप नहीं मिला। यमुना जल के सेंपल में डिजॉल्व ऑक्सीजन (डीओ) की मात्र अधिकतर समय मानक से कम रही। इससे जलीय जीवों के लिए भी संकट खड़ा होता रहा। वहीं, बायो ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) और टोटल कॉलिफार्म (मानव व जीव अपशिष्ट) की मात्रा हर जगह मानक से कई गुना अधिक रही।

शहर में हो रही अधिक प्रदूषित

आंकड़े यह साबित कर रहे हैं कि शहर में यह अधिक प्रदूषित हो रही है। इसमें बड़ा योगदान उसमें सीधे गिरते नालों और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का सफेद हाथी बनना है।

यह हैं गुनहगार

यमुना में गिरने वाले 29 नाले एसटीपी से कनेक्टेड हैं। 84 नाले एसटीपी से कनेक्टेड नहीं हैं। नगर निगम के दावे के अनुसार उन पर जाली लगाई गई है। एसटीपी से कनेक्ट नहीं होने की वजह से इन नालों से गंदगी सीधे यमुना में जा रही है और उसे प्रदूषित कर रही है।

जून में सबसे अधिक प्रदूषित

यमुना जनवरी से नवंबर तक जून में सर्वाधिक प्रदूषित रही। गर्मी के चरम पर होने की वजह से सूखी यमुना में ऊपर से पानी नहीं आने की वजह से नाले और सीवर गिरने से उसकी यह स्थिति हुई।

डिजॉल्व ऑक्सीजन (डीओ) की औसत स्थिति

कैलाश अपस्ट्रीम- 5.8

वाटरवर्क्‍स अपस्ट्रीम- 5.3

ताज डाउन स्ट्रीम- 4.8

मानक

पीने के पानी में छह, नहाने के पानी में पांच या उससे अधिक और ट्रीटमेंट के बाद पानी में चार मिलीग्राम प्रति लिटर होनी चाहिए।

बायो ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) की औसत स्थिति

कैलाश अपस्ट्रीम- 11.4

वाटरवर्क्‍स अपस्ट्रीम- 12.9

ताज डाउन स्ट्रीम- 14.6

मानक

पीने के पानी में दो, नहाने के पानी में तीन और ट्रीटमेंट के बाद पानी में तीन मिलीग्राम प्रति लिटर होनी चाहिए।

मुख्‍यालय को कराया गया अवगत

यमुना की सोचनीय स्थिति से मुख्यालय को अवगत करा दिया गया है। एसटीपी से यमुना में जा रही गंदगी के मामले में जल निगम पर जुर्माना लगाने की सिफारिश की गई है। यमुना में सीधे गिर रहे नालों के मामले में नगर निगम को कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा।

भुवन यादव, क्षेत्रीय अधिकारी, उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड


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