Webinar on Manufacturing: कोरोना की चुनौतियां, अब ग्लोबल मार्केट के लिए ताजनगरी को बढ़ाना होगा उत्पादन का स्तर
Webinar on Manufacturing फीओ और नेशनल चैंबर ने कराया वेबिनार। आइजीएसटी के रिफंड का भुगतान करे सरकार।
आगरा, जागरण संवाददाता। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फीओ), कानपुर आैर नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स, आगरा द्वारा मंगलवार को 'ट्रेड फेसिलिटेशन मेजर्स अपोच्यूर्निटी एंड चैलेंज्स ऑन एक्सपोर्ट' पर वेबिनार आयोजित किया गया। इसमें वर्तमान परिस्थितियों में निर्यातकों के लिए अवसरों और चुनौतियों पर मंथन किया गया।
फीओ, कानपुर के महानिदेशक डॉ. अजय सहाय ने निर्यातकों को इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (अाइजीएसटी) के रिफंड का तुरंत भुगतान करने की मांग सरकार से की। एमएसएमई के निदेशक टीआर शर्मा ने कहा कि एमएसएमई संस्थान, आगरा में एक्सपोर्ट फेसिलिटेशन सेल संचालित है, जिसमें उद्यमी अपनी जिज्ञासाओं का समाधान कर सकते हैं। नेशनल चैंबर के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने कहा कि चीन के परिप्रेक्ष्य में देखें तो भारत का निर्यात व्यापार बढ़ने की पूरी संभावना है। ग्लोबल मार्केट के लिए हमें उत्पादन का स्तर बढ़ाने की जरूरत है। नेशनल चैंबर के निर्यात व्यापार प्रोत्साहन प्रकोष्ठ के चेयरमैन रजत अस्थाना ने कहा कि भारत पूरी दुनिया के लिए फैक्ट्री बन सकता है। इसके लिए हमें परिवर्तित होने की जरूरत है। एफमेक अध्यक्ष पूरन डावर ने तुरंत कस्टम फेसिलटी की सुविधा योजनाबद्ध तरीके से चलाने और सरकार से आइजीएसटी, ड्रॉबैक भुगतान तुरंत कराने का अनुरोध किया।
क्षेत्रीय निदेशक हस्तशिल्प वीरेंद्र कुमार ने निर्यात को बढ़ाने में विभाग द्वारा सभी प्रकार की सुविधाएं देने की बात कही। संयुक्त निदेशक विदेश व्यापार अमित कुमार ने वैश्विक व्यापार में आगरा के जूता उद्योग के योगदान को सराहते हुए कहा कि डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (डीजीएफटी) द्वारा विदेश व्यापार नीति 31 मार्च, 2021 तक बढ़ाई गई है। फीओ के रीजनल चेयरमैन अश्विनी कुमार, मुख्य सलाहकार वाईएस गर्ग, आलोक श्रीवास्तव, राजेंद्र गर्ग, योगेश जिंदल, मयंक मित्तल, नरिंदर सिंह, अजय जैन, अखिलेश कुमार, आलोक चतुर्वेदी आदि वेबिनार में शामिल रहे।
निर्यात में यह चुनौतियां
-20 से 25 फीसद मांग कम होना।
-सरकार की विदेश नीति एवं योजनाओं का समुचित रूप से लागू नहीं होना।
-क्रेडिट साइकिल में वृद्धि नहीं हो रही है।
-निर्यातकों को कंटेनर उपलब्ध होने में दिक्कत आ रही है।
-कच्चे माल की कीमत में वृद्धि हो रही है।