Pollution in Yamuna: 67 नाले होंगे टैप, यमुना में नहीं गिरेगा कूड़ा
Pollution in Yamuna फाइटोरेमिडिएशन और बायोरेमिडिएशन तकनीक का होगा प्रयोग। शहर में 90 नाले यमुना नदी में गिरते हैं। इन नालों से 18 एमएलडी गंदा पानी निकलता है। डेढ़ साल के भीतर जल निगम और नगर निगम प्रशासन ने 29 नाले टैप किए।
आगरा, जागरण संवाददाता। मंटोला नाला हो या फिर पीपलमंडी और बेलनगंज नाला। इन सभी नालों सहित यमुना नदी में गिर रहे 67 नाले ट्रैप किए जाएंगे। फाइटोरेमिडिएशन और बायोरेमिडिएशन तकनीक से नालों के अंतिम छोर में छोटा बांध बनेगा और इससे कूड़ा नदी में नहीं गिरेगा।
शहर में 90 नाले यमुना नदी में गिरते हैं। इन नालों से 18 एमएलडी गंदा पानी निकलता है। डेढ़ साल के भीतर जल निगम और नगर निगम प्रशासन ने 29 नाले टैप किए। दयालबाग, पोइयाघाट, बल्केश्वर घाट में छह नाले ऐसे थे जिसमें गंदे पानी का डिस्चार्ज तेजी से बढ़ गया। ऐसे में कूड़ा सीधे नदी में जाने लगा। अब इन नालों को फिर से टैप किया जाएगा जबकि 61 अन्य नाले शामिल किए गए हैं। पर्यावरण अभियंता राजीव राठी ने बताया कि 67 नालों पर 77.51 लाख रुपये खर्च होंगे। इसमें प्रमुख रूप से कटरा वजीर खां नाला, लोहिया नगर, मोती महल, राधा नगर, मनोहरपुर, श्याम लाल विद्या मंदिर, रामबाग, खैराती टोला, जालमा नाला, इस्लाम नगर, गोकुल नगर, धार वाले बाबा, चीनी का रोजा, गली अंतराम की बगीची, बाईंपुर शामिल हैं। उन्होंने बताया कि नाले के अंतिम छोर में छोटा बांध बनाया जाएगा। फाइटोरेमिडिएशन और बायोरेमिडिएशन तकनीक से गंदे पानी का शोधन किया जाएगा फिर इसे यमुना में छोड़ा जाएगा। इस तकनीक में केमिकल का इस्तेमाल नहीं होगा। नगरायुक्त निखिल टीकाराम ने बताया कि यह कार्य इस साल तक पूरा हो जाएगा।
एसटीपी का बन रहा प्रस्ताव
जल निगम, यमुना एक्शन प्लान 67 नालों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। यह 1400 करोड़ रुपये के आसपास है। यह प्रस्ताव छह माह में तैयार होगा।