सरकार, ताजनगरी के आबादी क्षेत्र में चल रहीं हैं 522 डेयरी, कोर्ट की नाराजगी भी नहीं कर रही काम
सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी जता चुका है नाराजगी कोर्ट के आदेश पर बंद हो चुकी हैं कई डेयरी। नगर निगम और जिला प्रशासन नहीं दे रहा है ध्यान।
आगरा, जागरण संवाददाता। शाहगंज क्षेत्र हो या फिर आवास विकास। नियमों को दरकिनार करते हुए यहां 522 डेयरी आबादी वाले क्षेत्र में चल रही हैं। इन डेयरी के खिलाफ कई शिकायतें भी हो चुकी हैं लेकिन अभी तक ठोस कार्रवाई नहीं की गई। सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी घनी आबादी वाले क्षेत्रों में संचालित डेयरी पर नाराजगी जता चुका है। 522 डेयरी में सात हजार गाय और भैंस हैं। पशु संचालकों द्वारा हर दिन गोबर नालियों में बहाया जा रहा है। गाय को दिन में खुला छोड़ दिया जाता है। साथ ही पार्कों तक में कब्जा किए हुए हैं। वहीं कई ऐसे डेयरी संचालक भी हैं जिन्हें एक जगह से भगाया गया तो वह दूसरी जगह पर डेयरी खोल ली। शहर में 730 डेयरी में नौ हजार पशु थे। कोर्ट के आदेश पर 208 डेयरी को बंद कर दिया गया जिससे दो हजार पशु शहर से बाहर चले गए हैं।
यह हुई कार्रवाई
एनजीटी के आदेश पर विमलपुरम कॉलोनी और ऋषिपुरम कॉलोनी में एक-एक डेयरी को ध्वस्त कर दिया। विमलपुरम कॉलोनी में डेयरी से पांच पशु मिले थे। वहीं रामजीधाम मेें कोई जानवर नहीं मिला।
एक भी पशुपालक ने नहीं किया आवेदन
एडीए ने मार्च में कैटल कॉलोनी के प्लाट के लिए आवेदन मांगे थे। इसकी अंतिम तारीख तीस मार्च थी। बुढ़ाना में कैटल कॉलोनी विकसित की जा रही है। पहले चरण में 144 प्लाट तैयार किए गए हैं। हाल यह है कि एक भी पशुपालक ने आवेदन नहीं किया।