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Covid 19: कोरोना के 50 फीसद मरीजों को कोविड निमोनिया, पहचानें लक्षण

Covid 19 50 से 60 फीसद तक फेफड़े हो रहे खराब खून में 90 फीसद से कम आक्सीजन। मधुमेह ह्रदय रोग और 60 साल से अधिक उम्र होने पर जान बचाना मुश्किल। कोरोना संक्रमित मरीजों का एक्सरे और सीटी स्कैन कराया जा रहा है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 07:34 AM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 07:34 AM (IST)
Covid 19: कोरोना के 50 फीसद मरीजों को कोविड निमोनिया, पहचानें लक्षण
50 से 60 फीसद तक फेफड़े हो रहे खराब

आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमित मरीजों में कोविड निमोनिया घातक हो रहा है। इस तरह के मामलों में मरीजों के 50 से 60 फीसद तक फेफड़े खराब हो रहे हैं। इन्हें कई दिन तक आक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड रहा है। वहीं, 60 साल से अधिक उम्र के मधुमेह और ह्रदय रोगियों में कोविड निमोनिया होने पर जान बचाना मुश्किल हो रहा है।

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कोरोना संक्रमित मरीजों का एक्सरे और सीटी स्कैन कराया जा रहा है। इसमें मरीजों में कोविड निमोनिया डायग्नोज हो रहा है, यही कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत का कारण बन रहा है। एसएन मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा संजय काला ने बताया कि पिछले एक महीने से कोविड निमोनिया के मरीजों की संख्या 50 फीसद तक पहुंच गई है। पहले कोरोना संक्रमित 20 से 25 फीसद मरीजों में कोविड निमोनिया मिल रहा था। कोरोना वायरस से होने वाले ​कोविड निमोनिया में फेफड़े खराब होने लगते हैं। ऐसे में जो मरीज खून में आक्सीजन 90 फीसद से कम होने पर भर्ती हो रहे हैं, उन मरीजों के एक्सरे और सीटी स्कैन में 50 से 60 फीसद तक फेफड़े खराब मिल रहे हैं। खून में आक्सीजन का स्तर 95 फीसद से अधिक होना चाहिए, इस तरह के मामलों में मरीजों को आक्सीजन सपोर्ट पर रखा जा रहा है। कुछ इंजेक्शन दिए जा रहे हैं लेकिन 60 साल से अधिक उम्र के मधुमेह और ह्रदय रोगियों की तबीयत में सुधार नहीं हो रहा है। इससे मौत हो रही हैं।

कोरोना संक्रमित होते ही कराएं इलाज

एसएन मेडिकल कालेज के डा प्रभात अग्रवाल ने बताया कि 60 साल से अधिक उम्र के मरीज बुखार आने, थकान और कमजोरी महसूस करने पर डाक्टर से परामर्श लेकर जांच करा लें। एक्सरे, सीटी स्कैन के साथ कुछ जांच कराई जाती हैं, इससे पता चल जाता है कि मरीज के लिए कोरोना वायरस कितना घातक हो सकता है। इसे देखते हुए इलाज किया जाता है, जिससे फेफड़े को खराब होने से बचाया जा सके। मगर, अधिकांश केस में मरीज गंभीर हालत में भर्ती हो रहे हैं। 


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