UP की जेलों में कैद 459 बच्चों का बचपन, जानिए क्यों काट रहे मासूम सजा
जेलों में बचपनः प्रदेश की जेलों में 1148 सजायाफ्ता और 3497 महिला विचाराधीन बंदी निरुद्ध थीं। विचाराधीन महिला बंदियों के 387 और सजायाफ्ता के साथ 72 बच्चे थे निरुद्ध। नवजात से लेकर छह वर्ष की आयु तक के यह बच्चे अपने बड़ों के गुनाहों की सजा काटने को मजबूर हैं।
आगरा, अली अब्बास। करे कोई खता, मिले किसी को सजा। उत्तर प्रदेश की जेलों में कैद 459 बच्चों पर पंक्तियां सही साबित होती हैं। जिनका बचपन जेलों में कैद है। नवजात से लेकर छह वर्ष की आयु तक के यह बच्चे अपने बड़ों के गुनाहों की सजा काटने को मजबूर हैं। वह बाहर की दुनिया और खेलों के मैदान से वंचित हैं। उनकी दुनिया जेल की चहारदीवारी के अंदर तक सीमित है। बाहर की दुनिया और वहां के लोग उनके लिए एक सपने की तरह हैं।
उत्तर प्रदेश की जेलों के 31 दिसंबर 2020 तक के आंकड़ों के मुताबकि 1148 महिला सजायाफ्ता बंदी निरुद्ध हैं। इनके साथ 72 बच्चे भी बेगुनाह होने के बावजूद वहां रहने को मजबूर है। वहीं, विचाराधीन 3497 महिला बंदियों के साथ 387 बच्चे भी निरुद्ध हैं। इस तरह कुल 459 बच्चे 31 दिसंबर तक जेलों में थे। नियमानुसार छह वर्ष की आयु तक के बच्चे जेल में अपनी मां के साथ रह सकते हैं। परिवार में कोई जिम्मेदार नहीं होने के चलते इन बच्चों को अपनी मांओं के साथ जेल मे रहना पड़ रहा है।
आगरा जिला जेल ने पेश की मिसाल
नौनिहालों के बेहतर भविष्य के आगरा जिला जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्रा ने तीन वर्ष पहले सकारात्मक शुरूआत की। उन्होंने शहर की समाज सेवी संस्थाओं की मदद से महिला बंदियों के छह बच्चों का शहर के प्रतिष्ठित अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में दाखिला कराया। स्कूल ने बच्चों को शिक्षा के अधिकार के तहत अपने यहां प्रवेश दिया। वहीं संस्थाओं ने बच्चों की ड्रेस और कापी-किताबों की जिम्मेदारी ली। इसने अन्य महिला बंदियों को भी अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
-उत्तर प्रदेश की जेलों में 1148 सजायाफ्ता महिला बंदी निरुद्ध हैं।
-सजायाफ्ता महिला बंदियों के साथ 72 बच्चे हैं।
-इनमें 34 लड़कियां और 38 बालक हैं।
-यूपी की जेलों में निरुद्ध विचाराधीन महिला बंदियों की संख्या 3387 है।
-इनके साथ रहने वाले बच्चों की संख्या 387 है।
-इनमें 196 लड़कियां और 191 बालक हैं।
-अधिकांश महिला बंदी अपने बव्वों के साथ दहेज के लिए हत्या के आरोप में निरुद्ध हैं।
(नोट: आंकड़े 31 दिसंबर 2020 तक के हैं, जो कि कारागार प्रशासन द्वारा जारी होने वाले जेलों में मासिक जनसंख्या विवरण से लिए गए हैं।)
कारागार प्रशासन द्वारा महिला बंदियों के साथ रहने वाले बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसके लिए मंडल की जेलों को बच्चों के टीकाकारण कार्ड की तरह उनका हेल्थ कार्ड बनाने की कहा गया है। इससे कि हर महीने उनका वजन, वृद्धि और आंखों आदि का नियमित परीक्षण किया जा सके। चार वर्ष तक के बच्चों को प्ले ग्रुप की तरह जेल में ही पढ़ाने की व्यवस्था है। इसमें उच्च शिक्षित महिला बंदियों की मदद ली जाती है। चार वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में प्रवेश दिलाने की व्यवस्था की गई है।
अखिलेश कुमार डीआइजी कारागार आगरा एवं मेरठ मंडल