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तमाम बाधाओं को पार कर 39 साल की हथिनी 'रोजी' पहुंची हाथी अस्पताल, भदोही में मंगवाते थे उससे भीख

उत्तर प्रदेश के भदोही वन विभाग द्वारा राज्य की सीमा पर अवैध रूप से ले जाई जा रही 39 वर्षीय भीख मांगने वाली हथिनी रोज़ी को जब्त किया गया था। मालिक नहीं था छोड़ने को तैयार। कोर्ट से अनुमति लेकर वन विभाग और वाइल्ड लाइफ एसओएस ने कराया बंधन मुक्त।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Thu, 30 Jun 2022 01:34 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2022 01:34 PM (IST)
तमाम बाधाओं को पार कर 39 साल की हथिनी 'रोजी' पहुंची हाथी अस्पताल, भदोही में मंगवाते थे उससे भीख
भदोही से मुक्त कराकर मथुरा के हाथी अस्पताल में पहुंची हथिनी रोजी।

आगरा, जागरण संवाददाता। विशालकाय शरीर वाली हथिनी रोजी, इंसान के जुल्म के आगे बेबस नजर आ रही है। हथिनी के शरीर पर भारी, दर्दनाक नुकीली जंजीरें थीं। वर्षों की उपेक्षा और पशु चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण उसको गंभीर बीमारियां लग चुकी हैं। हथिनी रोज़ी को अवैध रूप से रखने वाले उसके मालिकों द्वारा पैदा की गयीं तमाम कानूनी बाधाओं के बावजूद, वाइल्डलाइफ एसओएस के मथुरा स्थित हाथी अस्पताल में लाया गया है। जहां रोज़ी को विशेष चिकित्सा उपचार और पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है।

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उत्तर प्रदेश वन विभाग ने इस महीने की शुरुआत में वन्यजीव संरक्षण संस्था वाइल्डलाइफ एसओएस से मिली खुफिया जानकारी के बाद भदोही में रोज़ी हथिनी को जब्त किया था। रोज़ी के मालिक बारातों और भीख मांगने के लिए अवैध रूप से उसका इस्तमाल करते थे, जिसके कारण उसने अपना अधिकांश जीवन कष्टदायी दर्द में बिताया, उसके आगे और पीछे के पैरों के चारों ओर दर्दनाक नुकीली जंजीरें भी बंधी हुई थी।

कोर्ट से ली अनुमति

रोज़ी को वाइल्डलाइफ एसओएस के हाथी अस्पताल में लाने से रोकने के लिए उसके मालिकों ने तमाम बाधाएं उत्पन्न करने की कोशिश की, जिसके कारण उसके यहां आने में विलंब भी हुआ। पिछले हफ्ते, अदालत से रोजी के पुनर्वास की अनुमति मिलते ही, वाइल्डलाइफ एसओएस के पशु चिकित्सकों और हाथी देखभाल कर्मचारियों की एक टीम विशेष हाथी एम्बुलेंस के साथ भदोही, उत्तर प्रदेश पहुंची और उत्तर प्रदेश वन विभाग की सहायता से हथिनी को सकुशल मथुरा स्थित वाइल्डलाइफ एसओएस के हाथी अस्पताल ले आई।

संस्था के पशु चिकित्सकों द्वारा किये गए गहन चिकित्सा जांच से पता चला कि हथिनी लगभग 39 साल की है और पक्की सड़कों एवं अन्य अनुपयुक्त सतहों पर चलने के परिणामस्वरूप उसके पैरों के तलवे और नाखून कटी -फटी हालत में हैं। इसके अतिरिक्त, उसके शरीर पर कई दर्दनाक फोड़े और चोटें भी हैं। यात्रा के दौरान रोज़ी को दर्द से तत्काल राहत प्रदान करने के लिए पशु चिकित्सकों की टीम अपने साथ चिकित्सा उपकरण भी लेकर गई थी।

मशीनों से हथिनी रोजी की स्वास्थ्य जांच करते पशु चिकित्सक। 

अस्पताल में शुरू हुआ इलाज

रोज़ी को अब उत्तर प्रदेश वन विभाग के सहयोग से वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा स्थापित भारत के पहले और एकमात्र हाथी अस्पताल परिसर में विशेषज्ञों के हाथों से लेजर थेरेपी, डिजिटल वायरलेस रेडियोलॉजी और थर्मल इमेजिंग जैसी विशेष चिकित्सा सुविधायें मिलेंगी।

वाइल्डलाइफ एसओएस की पशु चिकित्सा सेवाओं के उप-निदेशक, डॉ इलियाराजा, ने बताया कि वर्षों की उपेक्षा और दुर्व्यवहार ने रोज़ी के स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला है। उसके पैर बहुत खराब स्थिति में हैं और उसके शरीर पर कई चोटों के निशान भी हैं। हम उसके स्वास्थ्य की स्पष्ट तस्वीर प्राप्त करने और उसे आवश्यक देखभाल प्रदान करने के लिए विस्तृत चिकित्सा जांच कर रहे हैं।

विशेषज्ञों का ये है कहना

वाइल्ड लाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंजरवेशन बैजूराज एम.वी ने बताया कि हम इस हथिनी को संकट से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश वन विभाग के आभारी हैं। भीख मांगने वाले हाथी का जीवन दर्द से भरा होता है और वे गंभीर मानसिक तनाव से पीड़ित होते हैं, जिसे ठीक होने में वर्षों लग जाते हैं। अब जब रोज़ी हाथी अस्पताल में सुरक्षित पहुंच गई है, तो हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उसे वह चिकित्सा उपचार और देखभाल मिले, जिसकी वह हकदार है।

भदोही के डीएफओ नीरज कुमार आर्य ने कहा रोजी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित है। उसके बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण, यह निर्णय लिया गया कि हथिनी को तत्काल हाथी अस्पताल में स्थानांतरित किया जाए।

वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि का कहना है कि नुकीली जंजीरों का उपयोग अवैध है। खींचने पर, यह नुकीले कांटे मांस को फाड़ देते हैं जिससे हाथी को असहनीय दर्द होता हैं और इस तरह उनके मालिक उन्हें दर्द और भय का उपयोग करके नियंत्रित करते हैं। घाव अक्सर ठीक नहीं होते हैं और समय के साथ संक्रमित हो जाते हैं।


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