32 साल पहले शौरी के शौर्य से जाग उठी थी देशभर में छात्र शक्ति Agra News
राजीव सरकार के पतन की पटकथा का हिस्सा बना था एबीवीपी अधिवेशन। आगरा कॉलेज क्रीड़ांगन 32 बरस बाद फिर धर रहा लघु भारत का रूप।
आगरा, आशीष भटनागर। आगरा कॉलेज क्रीड़ांगन फिर लघु भारत का रूप धरने को तैयार है। 32 बरस पहले यहीं हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के राष्ट्रीय अधिवेशन की स्मृतियों के पन्ने फिर फड़फड़ाने लगे हैं। जिसमें से झांकती है तत्कालीन राजीव गांधी सरकार के पतन की पटकथा, जिसका साक्षी यह मैदान बना था। महज छह महीने पहले बोफोर्स घोटाले की परतें उघाड़ने वाले संपादक अरुण शौरी ने यहाँ तरुणाई को संबोधित किया तो छात्र शक्ति उठ खड़ी हुई थी। देश भर में घोटाले के खिलाफ आंदोलन खड़ा हुआ तो परिषद का अधिवेशन अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बन ऐतिहासिक हो गया था।
बात वर्ष 1987 की है। केंद्र में राजीव गांधी की प्रचंड बहुमत की सरकार थी। जून में एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार के तत्कालीन संपादक अरुण शौरी ने बोफोर्स मामले का पर्दाफाश अपने एक लेख में किया। लेख के प्रकाशन के साथ सरकार हिल गई। शौरी को अपने पद से इस्तीफा देकर लेख लिखने की कीमत चुकानी पड़ी। सरकार पर मीडिया की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के आरोप लगने लगे। वातावरण सत्ता विरोधी हो चला। इसी दौरान नवंबर में आगरा में हुए विद्यार्थी परिषद के अधिवेशन के मंच से बतौर मुख्यवक्ता अरुण शौरी को अपनी बात देश-दुनिया तक पहुंचाने का अवसर मिला। जिसके बाद बोफोर्स घोटाला, अरुण शौरी और अधिवेशन, तीनों ही अन्तरराष्ट्रीय मीडिया में छा गए।
दम है कितना दमन में तेरे...
विद्यार्थी परिषद के तत्कालीन नगर मंत्री चंद्रशेखर उपाध्याय बताते हैं कि लेख छापने के बाद अरुण शौरी का कद बहुत बढ़ गया था। उच्चस्तरीय प्रयासों के बाद अधिवेशन के लिए शौरी का समय मिल पाया था। छात्रों में उनके क्रेज और सत्ता के खिलाफ आक्रोश का आलम यह था कि मंच पर शौरी के आने पर 'दम है कितना दमन में तेरे, देख लिया और देखेंगे। इतिहास खून से बदला है, इतिहास खून से बदलेंगे' जैसे नारे बहुत देर तक गूंजते रहे।
मदन दास और राधेश्याम का था मार्गदर्शन
तत्कालीन नगर सहमंत्री आलोक कुलश्रेष्ठ ने बताया कि उस समय आगरा कॉलेज के प्रवक्ता भानु प्रकाश शर्मा नगर अध्यक्ष थे। नए-पुराने कार्यकर्ता पूरे दम से अधिवेशन को सफल बनाने में लगे थे। ऐसे में समन्वय और मार्गदर्शन भी बड़ी चुनौती थी। जिसको अखिल भारतीय संगठन मंत्री मदन दास और प्रदेश संगठन मंत्री राधेश्याम ने संभाल रखा था। इन्हीं दोनों के अथक प्रयास से अधिवेशन सफल और ऐतिहासिक बन पाया था।
दिवंगत पदाधिकारियों के नाम पर बसे थे नगर
तत्कालीन सदस्यता प्रमुख राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि अधिवेशन में आए कार्यकर्ताओं को उस समय आगरा कॉलेज और अन्य कॉलेजों के छात्रावास में ठहराया गया था। सप्रू छात्रावास को धीरेंद्र नगर, थॉमसन को कुनेंद्र नगर और वैश्य को देवेंद्र नगर नाम दिया गया था। तीनों विभिन्न कालखंडों में परिषद के पदधिकारी रहे थे और असमय ही काल के गाल में समा गए थे।
मोडक थे राष्ट्रीय अध्यक्ष और हरेंद्र महामंत्री
चंद्रशेखर के अनुसार वर्ष 1987 में हुए अधिवेशन के समय बंबई विश्वविद्यालय के डीन अशोक राव मोडक परिषद के अध्यक्ष थे और हरेन्द्र कुमार राष्ट्रीय अध्यक्ष। अधिवेशन में मुख्य अतिथि आगरा विश्वविद्यालय के तत्कालीन उपकुलपति सुरेंद्र कुमार अग्रवाल को बनाया गया था।