तीस रुपये में क्या होता है साहब, इतने में तो भूसा ही नहीं, चारा कहां से लाएं Agra News
गाय गोद लेने वालों को मिलता है 900 रुपये प्रतिमाह। अन्य पशुओं के सहारे गोद ली गाय का होता है पालन पोषण।
आगरा, जागरण संवाददाता। 30 रुपये रोज के हिसाब से 900 रुपये प्रतिमाह गाय को गोद लेने वाले पशु पालकों को सरकार की ओर से मिल रहे हैं, लेकिन यह धनराशि गाय के भूसे के लिए भी पर्याप्त नहीं होती है। ऐसे में गाय को हरा चारा, चोकर आदि कहां से मिल सकता है।
पशु पालन विभाग ने जिले के 130 पशु पालकों को 388 गाय गोद दी हैं। एक-एक पशु पालक ने चार-चार गाय गोद ले रखी हैं। यह पशु पालक ऐसे हैं जो कि आर्थिक रूप से मजबूत हैं और उनके यहां अन्य जानवर भी हैं। उन जानवरों के साथ ही सरकारी गाय का पालन पोषण हो रहा है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी अशोक कुमार दौनारिया ने बताया कि इन पशु पालकों के यहां प्रति माह चिकित्सक जाता है। वह चिकित्सक गोद ली गाय की जांच करता है। चिकित्सक के प्रमाण पत्र के बाद ही गोपालक के खाते में धनराशि भेजी जाती है।
केस-1
फतेहाबाद निवासी राजू पुत्र देवेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने चार सरकारी गाय गोद ले रखी हैं। इसके अलावा उनके पास और भी जानवर हैं। खेत से जो अन्य जानवरों के लिए चारा आता है उसी में से सरकारी गाय के लिए चारा निकाला जाता है। सरकारी अनुदान के सहारे गाय को पालन संभव ही नहीं है।
केस- 2
बरौली अहीर निवासी हुकुम सिंह महेंद्र सिंह ने भी चार गाय गोद ले रखी है। उन्होंने बताया कि ङ्क्षहदू गाय को मां के रूप में पूजते हैं। सरकारी अनुदान के लिए उन्होंने गाय को गोद नहीं लिया है। वह तो गाय की सेवा करना चाहते थे, इसलिए चार गाय गोद ले लीं। इसके अलावा उनके पास भैंस भी हैं।
केस-3
फतेहाबाद निवासी देवेंद्र पुत्र विशाल सिंह ने तीन गाय गोद ली हैं। उन्होंने कहा कि महीने में जब चिकित्सक उनके यहां गाय का परीक्षण करने आता है वह तो ठीक है, लेकिन उसके परीक्षण के बाद ही अनुदान मिलता है यह बात उन्हें कचौटती है। एक तो वह सेवा भाव से गाय को गोद लेकर सेवा कर रहे हैं, फिर उनकी नीयत पर शक किया जाता है। सरकार उन्हें तीस रुपये प्रतिमाह दे रही है, इससे गाय को ठीक तरह से भूसा भी नहीं खिला सकते।
केस-4
खंदौली के मलपुरा निवासी सुल्तान सिंह पुत्र केहरी ने भी चार गाय गोद ले रखी हैं। उन्होंने बताया कि गाय की दुर्दशा देखी नहीं जाती, वह गोशाला से गाय लेकर लेकर सेवा कर रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने सड़क पर घूमने वाली गायों के लिए भी अपने घर के बाहर लड़ामनी बना रखी है। इसमें वह अपनी हैसियत के हिसाब से रोजाना भूसा तथा हरा चारा डालते हैं।