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National Pollution Control Day: जानिए वो कारण जिनकी वजह से आगरा की हवा हो रही दिन पर दिन जहरीली

National Pollution Control Day निर्माणदायी एजेंसियां नियमों का नहीं करती हैं पालन प्रदूषण बढ़ने के बाद याद आता है प्लान। हर माह होती हैं बैठकें। नगर निगम एडीए सहित अन्य विभाग के अफसरों की कार्यशैली में नहीं आता सुधार।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 09:09 AM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 09:09 AM (IST)
National Pollution Control Day: जानिए वो कारण जिनकी वजह से आगरा की हवा हो रही दिन पर दिन जहरीली
प्रदूषण बढ़ने के बाद याद आता है प्लान।

आगरा, जागरण संवाददाता। नगर निगम हो या फिर एडीए व भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण। वायु प्रदूषण न बढ़े, इसके लिए इन तीन विभागों में प्रदूषण से निपटने का प्लान लागू है लेकिन यह प्लान कागजों में कैद है। रोड निर्माण हो या फिर अन्य कोई कार्य। नियमों का पालन नहीं किया जाता है। यही वजह है कि एक माह पूर्व शहर में वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ गया। आगरा कई बार देश में नंबर वन रहा। प्रदूषण बढ़ने के बाद अफसरों को इसके नियंत्रण की याद आई। यह गैर बात है कि हर माह बैठकें होती हैं और अफसरों द्वारा नियमों के पालन को लेकर दिशा-निर्देश दिए जाते हैं। इन सब के बाद भी अफसरों की कार्यशैली में सुधार नहीं आता है।

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हर दिन जलता है पांच से सात टन कूड़ा

नगर निगम के सौ वार्डों में हर दिन पांच से सात टन कूड़ा जलाया जाता है। कूड़ा जलाने में सबसे अधिक हाथ सफाई कर्मचारियों का होता है। तीन माह के भीतर एक भी कर्मचारी या फिर अन्य पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

यमुना नदी में गिरते हैं नाले

यमुना नदी में 92 नाले गिरते हैं। इसमें तीस नालों को टैप किया जा चुका है जबकि 62 नालों में बायो रेमिडिएशन तकनीक से गंदे पानी का शोधन किया जाएगा फिर उसे नदी में छोड़ा जाएगा।

निर्माण कार्यों में नियमों का नहीं होता पालन

शहर में निर्माण कार्यों में नियमों का पालन नहीं किया जाता है। निर्माण स्थल पर हरा पर्दा लगा होना चाहिए। मिट्टी न उड़े, इसके लिए पानी का छिड़काव नियमित अंतराल में होना चाहिए लेकिन अधिकांश निर्माण एजेंसियों द्वारा दोनों नियमों का पालन नहीं किया जाता है।

कूड़े को गलत तरीके से फेंकना 

नगर निगम की टीम और छोटे जूता कारोबारियों द्वारा हरदिन नालों में 15 टन कूड़ा फेंका जाता है। यह कूड़ा यमुना नदी में गिरता है। इससे नदी के प्रदूषित होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है।

बंद कर दिए जाते हैं एसटीपी

शहर में सात सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) हैं। इनका संचालन वबाग कंपनी द्वारा किया जाता है। कई बार एसटीपी को बंद कर दिया जाता है। इससे गंदा पानी सीधे नदी में गिरने लगता है।

प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए हर प्रयास किए जा रहे हैं। बैठकों में जो भी दिशा-निर्देश दिए जाते हैं, उनका पालन कराया जाता है। नियमित अंतराल में प्रोजेक्ट की जांच हाेती है और लापरवाही बरतने पर जुर्माना लगाया जाता है।

प्रभु एन सिंह, डीएम 


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