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Black Day: आगरा में वकील 27 सितंबर को मनाएंगे काला दिवस, नहीं करेंगे न्यायिक कार्य

26 सितंबर 2001 को दीवानी परिसर में पुलिस ने किया था लाठीचार्ज। न्यायिक अधिकारी समेत दर्जनों वकील हुए थे घायल विरोध में हर साल मनाते हैं काला दिवस। 26 सितंबर को रविवार होने से 27 सितंबर को काला दिवस मनाने का लिया गया निर्णय।

By Nirlosh KumarEdited By: Published: Sat, 25 Sep 2021 02:42 PM (IST)Updated: Sat, 25 Sep 2021 02:42 PM (IST)
Black Day: आगरा में वकील 27 सितंबर को मनाएंगे काला दिवस, नहीं करेंगे न्यायिक कार्य
वकील 27 सितंबर को मनाएंगे काला दिवस।

आगरा, जागरण संवाददाता। दीवानी परिसर में दो दशक पहले पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज के विरोध में वकील 27 सितंबर को न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे। इस लाठीचार्ज में दर्जनों वकील, न्यायिक अधिकारी व कर्मचारी घायल हो गए थे। जिसके विरोध में वकील हर साल 26 सितंबर को काला दिवस मनाते हैं और न्यायिक कार्य से विरत रहते हैं। इस बार 26 सितंबर को रविवार है, जिसके चलते वकील अगले दिन काला दिवस मनाते हुए 27 सितंबर को न्यायिक कार्य नहीं करेंगे।

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संघर्ष समिति के सचिव अरुण सोलंकी ने जिला जज नलिन कुमार श्रीवास्तव को ज्ञापन सौंपा। विभिन्न बार एसोसिएशन 27 सितंबर को दीवानी परिसर में जुलूस निकालने के साथ ही सभा करेंगी। बैठक में वरिष्ठ अधिवक्ता करतार सिंह भारतीय, आगरा बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमोद गर्ग, सचिव राम प्रकाश शर्मा, ग्रेटर आगरा बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुर्गविजय सिंह भईया, सचिव सुरेशचंद कुशवाह, सुरेंद्र लाखन, गजेंद्र बाबा, कृष्ण मुरारी माहेश्वरी, भारत सिंह, रमेश चंद्रा, मुकेश निम, अरुण सोलंकी आदि मौजूद रहे।

ये था मामला

घटना 26 सितंबर, 2001 की है। उच्च न्यायालय खंडपीठ की स्थापना को लेकर आंदोलन करते वकीलों की दीवानी परिसर स्थित आगरा बार एसोसिएशन के सभागार में बैठक चल रही थी। इसमें आगरा के अलावा मथुरा, फीरोजाबाद, मैनपुरी समेत कई जिलों के अधिवक्ता संगठनों के पदाधिकारी शामिल थे। पुलिस और पीएसी ने दीवानी के सभी गेटों से एक साथ प्रवेश कर जमकर लाठीचार्ज किया था। जिसमें वकील, न्यायिक अधिकारी व कर्मचारी घायल हो गए थे। पुलिस ने वकीलों के चैंबरों और वाहनों तक को नहीं बख्शा था।

आयोग ने जांच में पुलिस-प्रशासन को ठहराया था दोषी

वकीलों व न्यायिक अधिकारियों पर लाठीचार्ज के मामले में शासन ने जस्टिस गिरधर मालवीय की अध्यक्षता में आगरा जांच आयोग गठित किया था। आयोग ने अपनी जांच में पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों को दोषी ठहराया था।


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