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Baby Rani Maurya: बेबी रानी की सक्रिय राजनीति में हुई वापिसी तो बन सकती हैं विधानसभा की उम्मीदवार

बेबीरानी मौर्य के उत्‍तराखंड के राज्‍यपाल पद से इस्‍तीफे के बाद दिग्गज खेमों में शुरू हुआ चिंतन। लग रहीं हैंं तमाम तरह की अटकलें। कयास लगाए जा रहे हैं कि वे जिले की अनुसूचित जाति बाहुल्य किसी भी सीट से मैदान में उतर सकती हैं।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 04:46 PM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 04:46 PM (IST)
Baby Rani Maurya: बेबी रानी की सक्रिय राजनीति में हुई वापिसी तो बन सकती हैं विधानसभा की उम्मीदवार
उत्‍तराखंड की राज्‍यपाल बेबीरानी मौर्य को विधानसभा चुनाव का दावेदार माना जा रहा है।

आगरा, जागरण संवाददाता। उत्तराखंड की राज्यपाल बेबीरानी मौर्य के इस्तीफा देने के बाद उप्र की राजनीति गरमा गई है तो स्थानीय स्तर पर आगरा की राजनीति में भी हलचल तेज हो गई है। उनकी सक्रिय राजनीति वापिसी की अटकलें हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि वे जिले की अनुसूचित जाति बाहुल्य किसी भी सीट से मैदान में उतर सकती हैं। राज्यपाल रहते हुए भी उन्होंने आगरा में अपनी सक्रियता बनाए रखी थीं और विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों के माध्यम से सीधे लोगों से जुड़ी रहती थीं।

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बेबीरानी मौर्य के इस्तीफा देने के बाद आगरा में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया तो भाजपा के विभिन्न खेमों में चिंतन शुरू हो गया। विभिन्न दिग्गजों के दरबार में हर कोई अपना-अपना आंकलन बता रहा था, तो समीकरण भी समझाए जा रहे थे। मूलरूप से आगरा की निवासी बेबीरानी मौर्य का मायका बेलनगंज में हैं और उनकी ससुराल करियप्पा रोड पर है। राज्यपाल बनने से पहले वे छावनी विधानसभा क्षेत्र से प्रबल दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। राज्यपाल पद त्यागने के बाद अगर भाजपा उन्हें मैदान में उतारती हैं तो छावनी, आगरा ग्रामीण और एत्मादपुर विधानसभा क्षेत्र तीनों में से कोई भी हो सकता है। छावनी और आगरा ग्रामीण दोनों सीटें ही आरक्षित है, जबकि एत्मादपुर सामान्य श्रेणी में आती है। अनुसूचित जाति की राजधानी कहे जाने वाले आगरा में पार्टी उनके चेहरे को भुना सकती है तो इस बहाने बसपा के वोट में सेंध भी लगाने का प्रयास कर सकती है।

वर्ष 1995 में जुड़ी थीं भाजपा से, बनी थीं पहली महिला मेयर

वर्ष 1995 में बेबीरानी मौर्य का भाजपा के साथ राजनीतिक सफर शुरू हुआ था, इससे पहले वे घरेलू महिला थीं। पार्टी में आते ही उन्हें मेयर पद के लिए मैदान में उतारा गया था। वे आगरा की पहली महिला मेयर बनी थीं। इसके बाद भी राजनीतिक सक्रिय रहीं। वर्ष 2007 में उन्हें भाजपा ने एत्मादपुर विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा था, लेकिन हार का सामना करना पड़ा था। इसके पहले और बाद वे लंबे समय तक विभिन्न पदों पर रहीं।

राष्ट्रीय महिला आयोग की रहीं थी सदस्य

वर्ष 1997 में बेबीरानी मौर्य को भाजपा के राष्ट्रीय अनुसूचित मोर्चा की कोषाध्यक्ष बनाया गया था। वर्ष 2002 में राष्ट्रीय महिला आयोग का सदस्य बनाया गया था। 2018 में उन्हें बाल अधिकार सरंक्षण आयोग का सदस्य बनाया गया था। वे उस समय विदेश में थीं। जब तक पदभार ग्रहण करती तब तक राज्यपाल के लिए उनकी घोषणा हो गई थी।

बेटा अभिनव भी हुआ सक्रिय, कर रहे सेवा कार्य

बेबीरानी मौर्य के बेटे अभिनव मौर्य भी राजनीति में सक्रिय हो गए हैं। कोरोना संक्रमण काल के दौरान उन्होंने विभिन्न सेवा कार्य भी किए थे। वे भी छावनी विधानसभा क्षेत्र के दावेदार माने जा रहे हैं। अभी खुलकर उन्होंने अपना दावा पेश नहीं किया है, लेकिन उनके समर्थक, समर्थन जुटाते रहते हैं। बेबीरानी मौर्य के पति प्रदीप कुमार पंजाब नेशनल बैंक में डायरेक्टर पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। वे राजनीति में सक्रिय नहीं है, लेकिन उनका सहयोग करते हैं।


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